

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–26.3.22
पखांजुर–
जंगल में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। बड़गांव, कापसी, पखांजूर समेत क्षेत्रीय इलाकों में शायद ही ऐसा कोई पहाड़ी इलाके हो जहां पर जंगल की आग ने रफ्तार न पकड़ी हो। यह तस्वीरें साफ बता रही हैं कि किस तरह हजारों हेक्टेयर जंगल दिनों दिन जलकर खाक हो होते जा रहे है।
गौरतलब है कि बीते 21 मार्च से पूरे बड़गांव, कापसी, पखांजूर समेत समूचे छत्तीसगढ़ में अपनी 12 मांगों को लेकर वन कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। बीते कुछ दिनों से वन विभाग में पदस्थ डिप्टी रेंजर से लेकर मैदानी स्तर के कर्मचारी पूरे प्रदेश में हड़ताल पर चले जाने से कहा जा सकता है कि जंगल अनाथ हो गए हैं, और जंगल को देखने वाला कोई नहीं है। हर वर्ष गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लग जाती है और इससे बचाव के लिए पूरा वन अमला जुट जाता है, मगर इस बार स्थिति अलग है, वन विभाग का मैदानी अमला ऐन वक्त पर हड़ताल पर है और जंगलों में लगी आग फैलते जा रही है।
इससे वनों में निवास करने वाले जानवरों के लिए भीषण खतरा पैदा हो गया है। हालांकि वन मुख्यालय का दावा है कि निचले स्तर पर तैनात किये गए अग्नि रक्षक समय रहते आग पर काबू पा रहे हैं।वन विभाग भले ही सतर्कता दिखा रहा है मगर वर्तमान में हड़ताल के चलते जंगलों में लगी आग को बुझाने में दिक्कतें तो आ ही रही हैं। जंगलों में कई स्थानों पर आग की लपटें दिखाई पड़ जाएगी, जिन्हें बुझाने वाला कोई भी अमला नहीं है।
वन सुरक्षा भगवान भरोसे
वन कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से तस्करों की चांदी हो गई है। क्योंकि वन रक्षकों और क्षेत्रपालों की गैर मौजूदगी का लाभ मिल रहा है। जिससे जगंलों में लकड़ी तस्करों की बड़ी तादाद सक्रिय हो चुके है।और जंगलों में धड़ल्ले से लकड़ी की कटाई कर रहे हैं। जिससे वन विभाग को करोड़ों की क्षति हो रही है। वनों की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। इससे लकड़ी चोर और अवैध कटाई करने वाले सक्रिय हो गए हैं। हड़ताल से वन विभाग के अनेक कार्य प्रभावित हो रहे है जिसमें वृक्षारोपण, निस्तारी सीजन में डिपो बंद, वहीं लोगों को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।वनकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल में डटे होने से वन सुरक्षा भगवान भरोसे हो गया है।
महुआ के वजह से भी बढ़ रही आगजनी की घटना
ग्रामीण इलाकों में अक्सर लोग महुआ बीनने के एवज में पेड़ों के नीचे गिरे पत्तों को जला देते हैं।अक्सर ये आग फैलकर जंगल तक पहुंच जाती है।चूंकि वन अमला हड़ताल पर है,इसलिए आग बुझाने में दिक्कत आ रही है।वन विभाग का दावा तो यह है कि रेंजर और अन्य वन अधिकारी खुद मैदान में उतर गए हैं और जहां भी आग लगने की सूचना मिल रही है वहां अग्नि रक्षकों और ग्रामीणों की मदद से आग को बुझाने की कोशिश की जा रही है। बरहाल वास्तविकता की बात करें तो जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिन्हें बुझाने वाला और जंगल की सुरक्षा करने वाला कोई नहीं है।
