बिलासपुर।अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष सर्वेश्वर दास जी महाराज ने अपने अन्य साधु संतों के साथ प्रेस क्लब बिलासपुर पहुंचकर कहा कि पहली दिवाली जो परंपरागत रूप से मनाई जाती है उसे मना ली गई है। दूसरी दिवाली मतगणना के दिन सरकार परिवर्तन के रूप में मनाई गई है। सत्ता परिवर्तन के पहले यह देखा गया कि सरकार के धान,कर्ज माफी,के प्रभाव में जनता नहीं आई और अच्छे नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए उन्होंने वोटिंग की। जिसकी वजह से प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के नागरिकों का धन्यवाद किया। संतों ने कहा कि उनका काम मुख्यमंत्री बनाना नहीं है बल्कि लोगों को जगाना और बताना है। प्रदेश में जो भी मुख्यमंत्री बने प्रदेश के हित के साथ-साथ सनातन समाज को आगे लेकर चले इसी बात की हम लोग अपेक्षा नई सरकार से कर रहे हैं।
अब हम तीसरी दिवाली 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर मनाने जा रहे हैं। यह अवसर 500 साल बाद आया है। उन्होंने कहा कि 1 जनवरी से लेकर 15 जनवरी तक “अपन गांव अयोध्या धाम” का संदेश देने गांव गांव घर-घर जाकर लोगों को बताएंगे कि उस दिन किसी भी तरह का काम धाम ना करें। मंदिरों की सजावट कर दिनभर भजन कीर्तन करते हुए एक दूसरे को शुभकामनाएं दें। शाम को 6:30 बजे अधिक दिए ना हो तो कम से कम पांच दीप घर में जरूर जलाएं ताकि देश दुनिया में पता चल सके कि आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव देश में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन को जो भूलेगा उसका विधानसभा चुनाव की तरह हश्र होगा। आगे कहा कि आप लोगों ने देख लिया कि जिन लोगों ने सनातनियों को डेंगू मलेरिया तक कहा था आज उनका क्या हाल है। यह देश हिंदू राष्ट्र है आगे भी रहेगा। यहां सब का साथ सबका विकास होगा।सनातन धर्म में किसी को खदेड़ने का प्रावधान नहीं है। जो सनातन धर्म को निपटाएगा उसके खिलाफ साधु संत खड़े रहेंगे। राज्य सरकार के नरवा गरुआ घुरुवा,बाड़ी योजना को लेकर उन्होंने कहा कि यह गौ माता की सेवा के उद्देश्य से बनाई गई योजना अच्छी थी मगर बेहतर ढंग से क्रियान्वयन नहीं होने के कारण इसका लाभ पूरी तरह नहीं मिल पाया। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में जहां भी खाली जमीन है राज्य सरकार को गौ माता के लिए दान कर दिया जाना चाहिए। इस मौके पर आचार्य दिनेश चंद्र जी महराज,राधेश्याम दास जी,सीताराम दास जी,स्वरूप दास जी,तारकेश्वर पुरी जी, गिरिराज दास जी,राजेश्वर गिरी जी,जगतू दास जी और साध्वी पद्मिनीपुरी मौजूद रहीं।