भूतपूर्व सैनिक महेंद्र प्रताप सिंह राणा सोमवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकारों से रूबरू हुए। बिलासपुर विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे महेंद्र प्रताप सिंह राणा रिटायर्ड फौजी है जो पिछले 10 सालों से सामाजिक गतिविधियों और पूर्व सैनिकों के वेलफेयर के लिए लगातार काम कर रहे हैं । अब तक हालांकि उनकी पहचान एक राष्ट्रवादी सनातनी नेता के रूप में थी लेकिन वर्तमान में वे खुद चुनाव मैदान में उतर पड़े हैं। उनका मानना है कि विधानसभा और संसद में देश के 38 लाख सैनिकों का अपना प्रतिनिधि होना चाहिए। हालांकि वे यह भी मानते हैं की जन प्रतिनिधि प्रशासक नहीं होता। उसे एक सिपाही की तरह सिर्फ जनता का सेवक होना चाहिए। यहां तक की चुनाव जीतने के बाद उसे आगे क्या निर्णय लेना हैं इसका भी अधिकार नहीं है।
एक नई परिपाटी चलाने का इरादा रखने वाले महेंद्र प्रताप सिंह राणा कहते हैं कि अगर वे चुनाव जीत जाते हैं तो वे बिलासपुर के सामाजिक एवं राष्ट्रवादी संगठनों के साथ मिलकर लोक विधान सभा समिति बनाएंगे जो आगे के निर्णय लेंगे। इसमें किस पार्टी में शामिल होना से लेकर शहर का विकास तक सम्मिलित होगा।
देश में सत्तारूढ़ दलों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं । ऐसे में वे खुद को इससे कैसे बेदाग बचाएंगे के जवाब में महेंद्र प्रताप सिंह राणा कहते हैं कि जरूरी नहीं है कि भ्रष्टाचारियों के साथ रहकर कोई स्वयं भ्रष्टाचारी हो जाए। उनका मानना है कि वे ऐसे लोगों के बीच रहकर भी अपना चरित्र बरकरार रखेंगे और यथासंभवम उनमें भी परिवर्तन लाएंगे। बिलासपुर का सिपाही बनकर चुनाव मैदान में उतरे महेंद्र प्रताप सिंह राणा बताते हैं कि उन्हें देशभर से सैनिकों और उनके परिवार का समर्थन मिल रहा है। इतना ही नहीं राष्ट्रवादी नेता भी उन्हें पूरा समर्थन दे रहे हैं।
अपनी व्यथा बताते हुए महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने कहा कि बिलासपुर के पास ही शहीद सैनिक का परिवार मनरेगा में मजदूरी करने को विवश है तो वही एक शहीद पुलिस कर्मचारी की प्रतिमा लगाने के लिए उसके ही परिवार से पैसे मांगे जा रहे हैं। महेंद्र प्रताप सिंह राणा बताते हैं कि अपनी यह व्यथा सरकार तक पहुंचाने के लिए वर्तमान में उनका कोई नुमाइंदा नहीं है इसीलिए वे सत्ता में भागीदारी चाहते हैं । महेंद्र प्रताप सिंह यह भी कहते हैं कि एक सच्चा सैनिक कभी रिटायर नहीं होता । एक बार वर्दी पहन ली तो फिर अंतिम सांस तक वह किसी न किसी रूप में देश सेवा करता है। देश सेवा का एक आयाम लोकतंत्र में सक्रिय हिस्सेदारी भी है।
साथ ही वे बिलासपुर को एक कस्बा मानते हुए कहते हैं कि अभी भी बिलासपुर में विकास की अपार संभावना है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने हीं बिलासपुर को छला है, अगर उन्हें अवसर मिलता है तो जाहिर है वे सत्तारूढ़ पार्टी के साथ सरकार का हिस्सा बनेंगे लेकिन अपने सिद्धांतों से हटे बगैर वे सैनिक परिवारों और बिलासपुर शहर के विकास के लिए अपनी पूरी ऊर्जा लगाएंगे । महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने यह भी खुलासा किया कि भाजपा और कांग्रेस के अलावा लगभग सभी दलों ने चुनाव से पहले उनसे संपर्क किया था।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे इस चुनाव में उतरकर केवल भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं ? क्योंकि लोग यही कहते हैं की महेंद्र प्रताप सिंह राणा की छवि एक राष्ट्रवादी सनातनी की है और यही वर्ग भाजपा का बड़ा वोट बैंक है। ऐसे में महेंद्र प्रताप सिंह राणा भाजपा के वोट कटवा साबित हो सकते हैं। जवाब में महेंद्र प्रताप सिंह राणा कहते है कि देश के सारे लोग राष्ट्रवादी है और वे देशहित में ही अपना वोट देंगे, ऐसा उनको पूरा विश्वास है।
फिलहाल चुनाव मैदान में उतरे स्वतंत्र प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह राणा सिपाही राष्ट्रवाद और सत्ता में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं । देखना दिलचस्प होगा कि वे इसमें किस हद तक कामयाब होते हैं।