पांच राज्यों में में होने जा रहे हैं, विधानसभा चुनाव के तहत पहले चरण का मतदान मंगलवार को होना है, तो वहीं आगामी 17 नवंबर को छत्तीसगढ़ के शेष विधानसभा क्षेत्रो में वोट डाले जाएंगे। इस चुनावी समर में देश के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ कई क्षेत्रीय दल और निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में है । इनमें से किसी को कुर्सी की ताकत चाहिए तो किसी को सत्ता के शीर्ष तक पहुंच कर अपने लिए वैभव विलासिता की तलाश है , लेकिन इन्हीं बगुलों के बीच एक ऐसा हंस भी है जो अपने किसी निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि देश की आन बान और शान के लिए सरहद पर अपना बलिदान देने वाले देश के सैनिकों की आवाज बुलंद करने के लिए इस चुनाव मैदान में है।
आधिकारिक रूप से बिलासपुर में विधानसभा से 21 प्रत्याशी मैदान में है, जिनमें से कुछ ने अन्य प्रत्याशियों के समर्थन में आने की बात कही है लेकिन इनमें से एक निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह राणा पूरी निर्भीकता और अटल इरादे के साथ अभी भी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं । पूर्व सैनिक महेंद्र प्रताप सिंह राणा अपने राष्ट्रवाद और सैनिक हित में किए जाने वाले गतिविधियों के चलते बिलासपुर में किसी से अपरिचित नहीं है। अब वे बिलासपुर का सिपाही बनकर अपने शहर बिलासपुर, छत्तीसगढ़ और भारत की सेवा करना चाहते हैं । उनका निजी अनुभव है कि एक सैनिक अपने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा सैन्य गतिविधियों में खर्च कर देता है और फिर जब वह लौटकर सामान्य दुनिया में आता है तो पता चलता है कि जिस देशवासियों के लिए उसने अपना सब कुछ न्योछावर किया, उसी देश के लोग एक सैनिक से भी एक-एक काम के लिए रिश्वत की मांग करते हैं । अनुशासित जीवन जीने वाला सैनिक आज के इन कथित व्यवहार से भीतर तक आहत होता है। महेंद्र प्रताप सिंह राणा भी ऐसे ही अनुभवों से गुजरे है । उन्हें भी अपने जीवन में इसी तरह के सिविल सोसाइटी में भ्रष्टाचार और नियम विरुद्ध गतिविधियों को देखने का बेहद करीब से अवसर मिला है ।
पिछले काफी समय से सिपाही नामक संस्था के माध्यम से भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवार की सेवा कर रहे महेंद्र प्रताप सिंह राणा का मानना है कि बिना सत्ता की ताकत के अपनी आवाज को पुरजोर तरीके से रणनीतिकारों तक नहीं पहुंचाई जा सकती।
वैसे उन्हें चुनाव जीतकर किसी सत्ता या पद का लोभ नहीं है, वे तो केवल इतना चाहते हैं कि उन्हें इतना वोट मिल जाए की सत्ता के कर्ण धारों के कान खड़े हो जाए और वे सिपाही महेंद्र प्रताप सिंह राणा की बातों को गंभीरता से ले।
विगत 8-10 सालों से बिलासपुर के अलग-अलग समस्याओं को धरातल से करीब से देखने के बाद उन्होंने इस विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारने का फैसला किया। बताया जा रहा है कि कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें अपना नाम वापस लेने के लिए भी उन पर दबाव बनाया, लेकिन वे एक सिपाही भला कब जंग के मैदान से पीठ दिखाकर वापस लौटता है ।
सैनिकों के हित में तमाम मांगों को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाने के उद्देश्य से चुनाव मैदान में उतरे महेंद्र प्रताप सिंह राणा लोक विधानसभा समिति के गठन के पक्षधर है जिसमें सभी सामाजिक स्वयंसेवक और राष्ट्रीय भक्ति संस्थाओं की भागीदारी होगी। वे बिलासपुर विधानसभा जन निवारण केंद्र युद्ध स्मारक चौक में स्थापित कर सैनिकों तथा राष्ट्र भक्ति जन सेवकों की मदद से जन समस्याओं के निराकरण के प्रयास की बात भी कहते हैं ।पूर्व सैनिक संगठनों, पुलिस प्रशासन ,सामाजिक और अन्य संगठनों की मदद से बिलासपुर में आम लोगों की सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए भी वे प्रयासरत है। युवाओं को पूर्व सैनिकों द्वारा शारीरिक प्रशिक्षण देकर भारत की सशस्त्र सेवा में शामिल होने के लिए तैयार करने की बात भी उनके मेनिफेस्टो में है। भूतपूर्व सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन की वकालत करने वाले महेंद्र प्रताप सिंह राणा लंबे समय से बिलासपुर में भी सैनिक हितों को लेकर संघर्षरत है। इसी संघर्ष को एक आयाम देने वे इस बार नागरिक चुनाव चिन्ह के साथ बिलासपुर विधानसभा से मैदान में है।
वे कम संसाधनों के साथ भी लगातार आम लोगों के बीच पहुंच रहे हैं और उन्हें अपने उद्देश्यों से अवगत करा रहे हैं । भारत में आज भी सैनिकों के प्रति आम लोगों में बहुत सम्मान है । लोग सैनिकों की बात ध्यान से सुनते हैं । यही कारण है कि जब अपने कार्यकर्ताओं के साथ सिपाही महेंद्र प्रताप सिंह राणा चुनाव प्रचार पर निकलते हैं तो उनकी बातों को सुनकर लोग ठहर जाते है और उनसे प्रभावित भी होते हैं ।
अपने लिए नहीं बल्कि देश के ऐसे ही हज़ारो लाखो सैनिकों और उनके परिवारों की हित के लिए चुनाव मैदान में उतरे महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने बिलासपुर के मतदाताओं से अपील की है कि बिलासपुर , प्रदेश, देश और सैनिकों के हित में उन्हें अपना एक वोट जरूर दे ताकि सरकार तक आवाज़ पहुंचाई जा सके। जिस तरह से भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने संसद में बम फोड़ कर अंग्रेज सरकार तक अपनी आवाज पहुंचने की कोशिश की थी उसी तरह महेंद्र प्रताप सिंह राणा चुनाव समर में उतरकर सत्ता तक अपनी आवाज पहुंचाना चाहते हैं । इसमें वे कितने सफल होंगे, यह कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी, लेकिन उनके प्रचार अभियान को देखकर इतना तो लगता है कि वे वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरे सबसे लोकप्रिय और दिलचस्प प्रत्याशी जरूर है।