पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में शारदीय नवरात्र के सातवे दिन शत्रुओं से मुक्ति हेतु ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी के कालरात्रि के स्वरूप में हुई पूजा,कन्यापूजन कल

छत्तीसगढ़ बिलासपुर सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में शारदीय नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। पीताम्बरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के सातवे दिन प्रातःकालीन श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार कालरात्रि देवी के रूप में किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक किया गया।परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया जा रहा है।श्री दुर्गा सप्तशती पाठ एवं श्री पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ रात्रिकालीन प्रतिदिन रात्रि 8:30 बजे से रात्रि 1:30 बजे तक निरंतर चलता रहेगा तत्पश्चात महाआरती रात्रि 1:30 बजे किया जा रहा है।कल अष्टमी के पावन पर्व पर पीताम्बरा माँ बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार महागौरी देवी के रूप में किया जाएगा तत्पश्चात कन्या पूजन भोजन कराया जाएगा।

श्री पीताम्बरा माँ बगलामुखी देवी की उपासना नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि देवी के रूप में की गयी। इस दिन भक्तजन अपने सभी संकटों एवं शत्रुओ से मुक्ति हेतु बगलामुखी देवी की पूजा कालरात्रि के रूप में करें,एवं माँ बगलामुखी देवी की पूजन में पीले वस्त्रो का प्रयोग करें, माँ को पीला साड़ी, पीला चुनरी, पीला फल,पीला फूल एवं पीला मिष्ठान का भोग लगाए।

कालरात्रि माता को देवी दुर्गा के नौ रूपों में से सातवां स्वरूप कहा गया है। नवरात्र के सातवें दिन माता के इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर इनकी पूजा की जाती है। देवी का यह नाम उनके स्वरूप के कारण से है। इस स्वरूप में माता का वर्ण काजल के समान काला है।शुंभ-निशुंभ और उसकी सेना को देखकर देवी को भयंकर क्रोध आया और इनका वर्ण श्यामल हो गया। इसी श्यामल स्वरूप से देवी कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। कालरात्रि की चार भुजाएं हैं। ऊपर की दाहिनी भुजा से माता भक्तों को वर प्रदान करती हैं और नीचली दायीं भुजा से अभय देती हैं जबकि बायीं भुजाओं में माता खड्ग और कंटीला मूसल धरण करती हैं। कहीं-कहीं माता के हाथों में खड्ग और कटोरी भी बताया जाता है। माता कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और गले में विद्युत की माला शोभा पा रही है जिसकी चमक से ऐसे प्रतीत होता है कि बिजली चमक रही हो। क्रोध में माता की नासिका से अग्नि धधकती है। माता कालरात्रि का वाहन गर्दभ है।माता कालरात्रि के इस भंयकर स्वरूप को देखकर असुर और नकारात्मक शक्तियां भयभीत होती हैं। लेकिन माता कालरात्रि भक्तों पर परम अनुकंपा दर्शाने वाली हैं। भक्तों के लिए सुलभ और ममतामयी होने की वजह से माता को शुभंकरी भी कहा गया है।

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