बिलासपुर एयरपोर्ट की जनहित याचिका में में ज़मीन हस्तांतरण के मामले में आज केंद्र सरकार ने लिया यू टर्न

बिलासपुर, आज उच्च न्यायालय में माननीय न्यायाधीश श्री गौतम भादुड़ी एवं न्यायाधीश श्री दीपक तिवारी की खंडपीठ में बिलासपुर एयरपोर्ट के उन्नयन के संबंध में पत्रकार कमल कुमार दुबे एवं उच्च न्यायालय प्रैक्टिसिंग बार की तरफ़ से दायर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान पिछले आदेश के तारतम्य में केंद्र सरकार रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से डिप्टी सोलोसिटर जनरल ने एक आज हलफ़नामा उच्च न्यायालय में पेश किया एवं ये बताया कि 1014 एकड़ ज़मीन जो बिलासपुर एयरपोर्ट के लिए वापस हस्तांतरण होनी है और राज्य शासन की तरफ़ से ज़मीन के वापसी को लेकर रुपये 93 करोड़ केंद्र सरकार को प्राप्त हो चुके हैं लेकिन चूँकि ये ज़मीन 2015-16 के समय अदान प्रदान की गई थी और केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को ज़मीन के अलॉटमेंट के बदले जिस राशि का भुगतान किया था उसका आज की रेट के अनुसार अनुसार पैसे वापस मिलने चाहिए और इस पर केंद्र शासन के रक्षा मंत्रालय की कैबिनेट मीटिंग के पश्चात फ़ैसला लिया जाना है लेकिन केंद्र सरकार की तरफ़ से ये भी बताया गया कि 270 acre की ज़मीन जिसकी एयरपोर्ट की विस्तारीकरण के लिए फ़िलहाल अत्यंत आवश्यकता है में काम चालू करने के निर्देश दिये जाने के लिए केंद्र सरकार तैयार है लेकिन अगर राज्य शासन उसके लिए अलग से एक नया आवेदन प्रस्तुत करता है तो तत्काल रूप से 270 acre ज़मीन केंद्र सरकार राज्य सरकार को ज़मीन हस्तांतरण कर सकती है बाक़ी शेष भूमि के लिए केंद्र सरकार अपने कैबिनेट मीटिंग के पश्चात कोई निर्णय ले पाएगी । इस पर राज्य सरकार की तरफ़ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के द्वारा यह बताया गया की उनके द्वारा पहले ही आवेदन केंद्र सरकार को प्रस्तुत किया जा चुका है और केंद्र सरकार को राज्य सरकार के द्वारा संपूर्ण राशि रुपए 93 करोड़ भी ट्रांस्फ़र की जा चुकी है उनकी तरफ़ से कोई भी कार्रवाई शेष नहीं है और आज केंद्र सरकार के द्वारा ज़मीन हस्तांतरण के संबंध में नवीन शर्तों का समावेश करना, न्यायालय के समक्ष उनके पिछले जवाब एवं हलफ़नामे तथा आदेश के विरुद्ध है।
इस पर माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात आदेश दिया कि दोनों केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के सचिवों को एक साथ बैठकर इस विवाद को निराकरण करना चाहिए क्योंकि वायुसेवा एवं एयरपोर्ट आम जनता लिए तैयार किया जा रहा है और ये याचिका प्रतिद्वंदी याचिका न हो कर एक जनहित याचिका है इसलिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों को इस विवाद का निराकरण करना चाहिए।
उच्च न्यायालय में सभी पक्षकारों ने यह भी बताया कि बिलासपुर से दिल्ली लिए सीधी वायु सेवा पिछले कुछ दिनों से ट्रायल पर चल रही थी और ट्रायल बहुत कुछ सफल भी रहा है इस पर उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, AAI, अलायन्स एयर को इस सीधी वायु सेवा को निरंतर रखने के लिए प्रयास करने लिए कहा है और साथ बिलासपुर से कोलकाता और दूसरे मेट्रो सिटीज़ के लिए भी निरंतर सीधी वायु सेवा प्रदान की जानी चाहिए जिस अलायन्स एयर की तरफ़ से ये बताया गया कि शीघ्र ही बिलासपुर से दिल्ली के लिए विंटर शेड्यूल के तहत सीधी वायु सेवा चालू होने वाली है और Bilaspur से Kolkata के लिए भी सीधी वायु सेवा चालू हो है जिसके लिए केंद्र सरकार AAI अलायन्स एयर प्रयासरत है।
उच्च न्यायालय ने बिलासपुर से भोपाल एवं Bilaspur से Indore की वायु सेवा जो ग़लत तरीक़े से बंद कर दी गई थी उसमें भी AAI और DGCA को उचित कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए हैं एवं उन्हें ये भी हलफ़नामा पेश करने के लिए निर्देश दिये है कि वो किस पालिसी के तहत बिलासा एयरपोर्ट को उड़ान, स्कीम 05 से बाहर कर दिया है?
उच्च न्यायालय ने बाक़ी सभी निर्माण कार्य जैसे की नाईट लैंडिंग की फ़ैसिलिटी, बाउंड्री वॉल का निर्माण, एप्रोच रोड आदि सभी कार्यों को जल्द से जल्द पूर्ण करने के लिए आदेश दिए हैं।
उच्च न्यायालय ने प्रकरण को तीन हफ़्ते के बाद फिर से सुनवाई लिए 3 नवंबर की तारीख़ निश्चित की है
प्रकरण में याचिकाकर्ता की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आशीष श्रीवास्तव एवं अधिवक्ता श्री सुदीप श्रीवास्तव ने पैरवी की एवं राज्य शासन की तरफ़ से महाधिवक्ता श्री सतीश चंद्र वर्मा एवं केंद्र सरकार की तरफ़ से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल श्री रमाकान्त मिश्रा ने पैरवी की। उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को प्रोग्रेस रिपोर्ट आगामी तिथि तक प्रस्तुत करने के लिए आदेश दिये है एवं प्रकरण की आगामी सुनवाई 3 नवम्बर 2023 को निर्धारित की है।

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