शिक्षक के पास वो कला है जो मिट्टी को सोने में बदल सकती है, प्रलय और निर्माण शिक्षक के गोद में पलते हैं: पं. संजय दुबे

बिलासपुर: नगर के प्रतिष्ठित सी.एम.दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर में आज शिक्षक दिवस के अवसर पर छात्र/छात्राओं ने पं. संजय दुबे अध्यक्ष शासी निकाय, प्रभारी प्राचर्य डॉ. संजय सिंह एवं डॉ. अंजली चतुर्वेदी के अतिथ्य के में समस्त शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को आमंत्रित कर भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया।
इस अवसर पर उपस्थित छात्र/छात्राओं को पं. संजय दुबे ने आशिर्वचन के रूप में कबिरदास के दोहे का स्मरण करते हुए कहा कि ‘‘गुरू गोविन्द दाउ खड़े काके लागू पाये बलिहारी गुरू आपने गोविंद दियो बताए।‘‘ अर्थात् गुरू का स्थान भगवान से भी उंचा है। उन्होने कहा कि कोई भी शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण इसकी गोद में पलते है। किन्तु शिक्षक और छात्र के बीच में जो प्राचीन काल मे प्रांगड़ संबंध एवं आदर भाव भा वह आज विलुप्त होते जा रहा है। उसे समृद्ध और सुखी समाज के लिए शिक्षक दिवस की पुरानी परम्परा को बरकरार रखा जाना चाहिए।


प्रभारी प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि शिक्षक का हमारे जीवन में अमूल्य योगदान है। शिक्षकों के बीना मानव जीवन सार्थक नहीं है। हर किसी के जीवन में गुरू या शिक्षक का होना आवश्यक है। इस अवसर पर महाविद्यालय में कार्यरत् समस्त प्राध्यापकों को सम्मानित किया गया। विशेष रूप से इस अवसर पर उप प्राचार्य डॉ. पी.एल. चन्द्राकर, डॉ. के.के. जैन, डॉ. डी.के. चक्रवर्ती, डॉ. विनित नायर, डॉ. आदित्य दुबे, डॉ. के.के. शुक्ला, प्रो. राजकुमार पण्डा, डॉ. एस. पावनी, डॉ. स्मृति पाण्डेय, प्रो. संगीता ताम्रकार, प्रो. रोहित लहरे आदि शिक्षकों का श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मान किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के 100 से अधिक प्राध्यापक एवं प्राध्यापिकाएं के साथ-साथ 300 छात्र/छात्राएं उपस्थित थे।

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