बिलासपुर में होने वाले गणेश विसर्जन की झांकी मनोहरी होती है और इसे देखने हजारों की संख्या में लोग सड़को पर उमड़ते हैं, लेकिन कई बार यह भी लगता है कि इस दौरान धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन हो रहा है ।आजकल डीजे की कानफोड़ू ध्वनि के साथ विसर्जन में शामिल लोग शराब पीकर अपने ही धर्म पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं ।वही नियम विरुद्ध पंचक लग जाने के बाद या फिर पितर पक्ष में भी गणेश विसर्जन का क्रम चलता रहता है। इसे लेकर अब हिंदू समाज सजग हो रहा है। इसी विषय पर किसी निर्णय पर पहुंचने की इच्छा के साथ मंगलवार को बिलासपुर के खाटू श्याम मंदिर में एक बैठक का आयोजन किया गया। कई गणेश समितियां इसमे शामिल हुई, जहां एक राय में भगवान गणेश का विसर्जन 10 दिन के उत्सव के बाद 11वे दिन अनंत चतुर्दशी पर करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।

चर्चा के दौरान यह बात भी सामने आयी कि कई समितियां विसर्जन में केवल इसलिए विलंब करती है क्योंकि उन्हें मनचाहा डीजे नहीं मिल पाता। लेकिन यह धर्म विरुद्ध आचरण है। दुर्गा पूजा की तरह गणेश उत्सव में भी सनातनी नियमों का पालन आवश्यक है। श्री श्याम मंदिर में आयोजित बैठक में बिलासपुर की अधिकांश गणेश समितियां और उनके पदाधिकारी शामिल हुए, जिन लोगों ने यह भी निर्णय लिया की विसर्जन के दौरान डीजे में बजने वाले फिल्मी और फूहड़ गाने बजाने, विसर्जन के दौरान शराब पीने, नशाखोरी करने से भी समितियां को रोकना होगा। साथ ही कहा गया कि समितियां ही नहीं बिलासपुर के प्रत्येक नागरिक और सनातनी का भी यह धर्म है कि वे अपनी परंपराओं को मर्यादित रखें, जिससे कि किसी को भी इस पर उंगली उठाने का अवसर न मिल सके। अन्य गणेश समितियां तक भी यह जानकारी पहुंचाने की बात कही गई । बैठक में आगामी 29 सितंबर को एक साथ सभी गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन समिति द्वारा करने पर सहमति बनी है। विसर्जन के लिए गोल बाजार, कोतवाली चौक, जूना बिलासपुर होते हुए पचरी घाट का मार्ग तय किया गया है। इस अवसर पर पांच या छह जगह स्वागत मंच बनाए जाएंगे।

संभव है कि बड़ी गणेश समितियां इस निर्णय का पालन करें , लेकिन गणेश चतुर्थी पर एक दिन , तीन दिन ,पांच दिन, सात दिन का गणेश स्थापित किया जाता है और गणेश चतुर्थी के अगले दिन से ही विसर्जन का भी क्रम आरंभ हो जाता है। इसलिए 100% नियम पालन की उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए। लेकिन अगर बड़ी समितियां भी नियम का पालन करें तो भी काफी हद तक धर्म रक्षा संभव है।


शहर की संकरी गलियों में डीजे की कानफोड़ू ध्वनि बुजुर्ग और बीमार लोगों को बेहद परेशान करती है। राहगीर भी इससे परेशान होते हैं। शहर की सड़कों पर जाम लग जाता है। इससे बचने की आवश्यकता है ।उत्सव खुशियां लेकर आते है और दूसरे को परेशान कर खुशियां मनाना सनातन नहीं सिखाता।

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