आकाश दत्त मिश्रा
मुंगेली में इन दिनों लेटर बम से राजनीतिक भूचाल आ गया है। मुंगेली में वायरल लेटर खूब चर्चा में है। मुंगेली नगर पालिका परिषद शुरू से ही में उठापटक जारी है। पूरा कार्यकाल इसी में बीत गया। पहले पूर्व अध्यक्ष संतु लाल सोनकर को भ्रष्टाचार के आरोप में कुर्सी गंवानी पड़ी। फिर विपक्ष के पार्षदों की हॉर्स ट्रेडिंग कर हेमेंद्र गोस्वामी अध्यक्ष तो बन गए लेकिन उनके लिए यह कुर्सी कांटो भरी साबित हुई ।
इधर एक चिट्ठी सुर्खियों में है जिसके अनुसार नगर पालिका परिषद अध्यक्ष हेमेंद्र गोस्वामी अपने ही करीब करीब पार्षद को प्रेसिडेंट इन काउंसिल से हटाकर दूसरे पार्षद को सभापति बनाने की बात कह रहे है। यह पत्र अध्यक्ष हेमेंद्र गोस्वामी द्वारा सीएमओ के नाम लिखे होने का दावा किया जा रहा है। जिस पार्षद को हटाने की बात कही जा रही है वे हेमेंद्र गोस्वामी के बेहद करीबी माने जाते हैं। इधर इस चिट्ठी के वायरल होते ही नगर पालिका अध्यक्ष हेमेंद्र गोस्वामी ने इससे पल्ला झाड़ लिया है और उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने ऐसा कोई पत्र लिखा ही नहीं है। इधर सीएमओ अनुभव सिंह ने तो इस तरह के किसी पत्र की जानकारी होने से ही मना कर दिया।
अगर धुंआ है तो कहीं तो चिंगारी होगी । इसी तर्ज पर लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर हेमेंद्र गोस्वामी ने इस तरह का कोई पत्र नहीं लिखा है तो वे इसका औपचारिक खंडन क्यों नहीं कर रहे और इसकी शिकायत क्यों नहीं की जा रही।
वायरल पत्र में नजर आ रहा है कि कथित अध्यक्ष द्वारा पी आई सी के सदस्य में से संजय सिंह साधु को हटाकर उनकी जगह वार्ड क्रमांक 11 के पार्षद राजशेखर यादव को सभापति बनाने का निर्णय लिया गया है। इससे सभी हैरान हैं, क्योंकि वार्ड क्रमांक 1 के पार्षद संजय सिंह साधू हेमेंद्र गोस्वामी के करीबी है और हेमेंद्र गोस्वामी स्वयं कह रहे हैं कि उन्होंने ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा। तो फिर बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा पत्र किसने और किस उद्देश्य से लिखा है ? क्या यह मुंगेली में नगर पालिका को अस्थिर करने की कोई साजिश है या फिर इसके कोई और ही मायने हैं ? यह पता लगाना बेहद जरूरी है।