

श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़ स्थित त्रिदेव मंदिर में गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन एवं पीताम्बरा यज्ञ के दसवें दिन माँ बगलामुखी देवी का पूजन मातंगी एवं कमला देवी के रूप में किया जाएगा,एवं कमला देवी(लक्ष्मी) के रूप में कुंवारी कन्याओं का पूजन,भोजन प्रातः10 बजे किया जाएगा।पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि नवीं महाविद्या मातंगी देवी हैं मातंगी देवी प्रकृति की स्वामिनी देवी है। मातंगी देवी को वचन,और कला की देवी भी माना गया है।देवी मातंगी गहरे नीले रंग की हैं,देवी मातंगी मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती हैं, मां के 3 ओजपूर्ण नेत्र हैं।मां रत्नों से जड़े सिंहासन पर आसीन हैं।देवी मातंगी के एक हाथ में गुंजा के बीजों की माला है,देवी के दायें हाथों में वीणा तथा कपाल है तथा बायें हाथों में खड़ग है,देवी मातंगी अभय मुद्रा में हैं,देवी मातंगी के संग तोता भी है जो वाणी और वाचन का प्रतीक माना जाता है ।

माँ कमला दस महाविद्याओं मे दसवीं महाविद्या है। शास्त्रों में माँ कमला को भाग्य, सम्मान, पवित्रता और परोपकार की देवी माना गया है।देवी कमला सभी दिव्य गतिविधियों में उर्जा के रूप में मौजूद रहती हैं।माँ कमला भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति हैं। इनकी पूजा से माँ लक्ष्मी की पूजा के समान पुण्य प्राप्त होता माँ कमला अपने भक्तो को धन और ऐश्वर्य का वरदान देती हैं।खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए माँ कमला की पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है माँ कमला गर्भवती स्त्री के गर्भ की रक्षा करती हैं उनका पोषण करती है।

