आलोक मित्तल

रेलवे स्कूल की फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी के खिलाफ लामबंद अभिभावकों ने सीनियर डीपीओ का घेराव कर दिया। एक दौर था जब रेल कर्मचारी बेहद मामूली वेतनमान पर कार्य करते थे, इसलिए उनके आश्रित बच्चों को शिक्षा देने के लिए रेलवे स्वयं स्कूल संचालित किया करता था, जहां छात्र छात्राओं से नाम मात्र की फीस ली जाती थी। बिलासपुर में भी रेलवे के तीन स्कूल संचालित है।
वक्त के साथ रेल कर्मियों के वेतन बढ़ते चले गए और उनका जीवन स्तर बदल गया, जिसके बाद रेल कर्मचारियों के बच्चों ने भी हिंदी माध्यम के स्कूलों से तौबा कर लिया। जिसके बाद रेलवे के तीनों स्कूल अंग्रेजी माध्यम में तब्दील कर दिये गए। इसके साथ ही रेलवे स्कूल में प्रवेश के लिए मारामारी मचने लगी। रेलवे कर्मचारियों के अलावा गैर रेलवे कर्मचारियों के बच्चों को भी इन स्कूलों में प्रवेश दिया जाने लगा। रेलवे स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों की अपेक्षा फीस स्ट्रक्चर काफी कम हुआ करता था, लेकिन इसमें अचानक बेतहाशा बढ़ोतरी से अभिभावक परेशान है।


वर्ष 2023- 24 के सत्र के लिए फीस में बढ़ोतरी की गई है। अब रेलवे के स्कूलों में रेल कर्मचारियों के अलावा गैर रेल कर्मचारियों के बच्चे भी पढ़ाई करते हैं जिनके लिए अलग-अलग फीस स्ट्रक्चर की व्यवस्था है। नए सत्र में कक्षा 2 से लेकर 5 तक के लिए रेल कर्मचारियों के बच्चों से ₹14000 और गैर रेल कर्मचारियों के बच्चों से ₹19000 फीस निर्धारित की गई है। खास बात यह है कि इसकी पूरी रकम एक बार में ही 10 अप्रैल तक जमा करना होगा। ऐसा न करने पर विद्यार्थी का नाम कक्षा से खारिज कर दिया जाएगा। विद्यार्थी का नाम वापस जोड़ने के लिए भी ₹1000 की रिएडमिशन फीस देनी होगी।


बताया जा रहा है कि पहले यह फीस ₹9000 हुआ करती थी, जिसे यकायक बढ़ाकर 19,000 कर दिया गया है। जानकारी मिली है कि पहले रेल कर्मचारियों के बच्चों से प्राथमिक स्तर के लिए सालाना ₹9000 और गैर रेल कर्मचारियों के बच्चों से सालाना ₹12000 की फीस ली जाती थी। यह फीस रेलवे के स्कूल नंबर वन की है। वही स्कूल नंबर 2 में रेल कर्मचारियों के बच्चों से ₹7400 और गैर रेल कर्मचारियों के बच्चों से ₹9400 की फीस ली जा रही थी। प्राइमरी स्कूल के इस फीस स्ट्रक्चर के अलावा मिडिल स्कूल के लिए रेल कर्मचारियों के बच्चों से 11,000 और गैर रेल कर्मचारियों के बच्चों से ₹14,000 एक नंबर स्कूल में रेल कर्मचारियों को बच्चों से ली जा रही थी। ₹8300 और गैर रेल कर्मचारियों के बच्चों से ₹10300 दूसरे रेलवे स्कूल में ली जा रही थी। इसके अलावा हाई स्कूल के लिए रेलवे कर्मचारियों के बच्चों से ₹14,500 और गैर रेलवे कर्मचारियों के बच्चों से ₹17,500 की फीस ली जा रही थी। दो नम्बर स्कूल में रेल कर्मचारियों के बच्चों से 10,300 और गैर रेल कर्मचारियों के बच्चों से ₹12,300 की फीस ली जा रही थी। इसके अलावा ₹1000 से लेकर ₹2500 एडमिशन फीस भी शामिल थी।


इस भारी-भरकम फीस स्ट्रक्चर के बावजूद इस वर्ष यकायक स्कूल फीस में भारी बढ़ोतरी से अभिभावक नाराज हो गए, जिन्होंने सीनियर डीपीओ के कार्यालय का घेराव कर दिया। जब वह अपने दफ्तर में नहीं मिले तो अभिभावक डीआरएम के पास शिकायत लेकर पहुंच गए , जिन से मिले आश्वासन के बाद सीनियर डीपीओ ने एक बार फिर बैठक करने की बात कही है। अभिभावकों का कहना है कि फीस में इतनी भारी बढ़ोतरी करने की बजाय मामूली बढ़ोतरी उन्हें स्वीकार्य है। अगर रेलवे अधिकारी इस विषय में उदारता पूर्वक विचार नहीं करते हैं तो फिर जनप्रतिनिधियों की मदद से इसे आंदोलन का स्वरूप दिया जाएगा , क्योंकि रेलवे अपने स्कूल का संचालक मुनाफा कमाने के लिए नहीं करता। रेलवे अस्पताल हो या फिर रेलवे स्कूल, इसका संचालन रेलवे अपने कर्मचारियों को अतिरिक्त सुविधा देने के लिए करता है, जिसमें भारी-भरकम फीस की बढ़ोतरी उन्हें स्वीकार्य नहीं है।

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