जॉब और पैकेज महत्वपूर्ण लेकिन इससे भी बड़ी चीज संस्कार
00 1997 बैच बीआईटी ने अपने मूल्यों को भी संभालकर रखा
00 1997 बैच के सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन में भाग लेने पहुंची राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने दिया संदेश
बीआईटी में नवाचारों को बढ़ावा दिया जाता है अतएव इतने बरसों बाद भी संस्थान की साख वैसे ही
भिलाई। बीआईटी दुर्ग 1997 बैच के सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन को संबोधित करते हुए राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि आपको मिलने वाला पैकेज महत्वपूर्ण है लेकिन इससे भी बड़ी चीज है संस्कार। आपने जिन लोगों से शिक्षा ली, जिन्होंने आपके निर्माण के महत्वपूर्ण वर्षों में आपकी समझ को विकसित करने में मदद की। उन्हें याद रखना, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना, बहुत जरूरी चीजें हैं।
राज्यपाल ने कहा कि जब अपने गुरुजनों के प्रति इन पूर्व छात्रों का आदर देख रही हूँ तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है और यह लग रहा है कि उन्होंने अपने करियर में भी तरक्की की है और अपने संस्कारों को भी संभालकर रखा है। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने बीआईटी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कही। राज्यपाल ने कहा कि युवावस्था अपने को निखारने का स्वर्णिम वक्त होता है और ऐसे में जिस संस्थान में उनकी ऊर्जा को सकारात्मक रूप दिया जाता है वो संस्थान उनके लिए पुण्यभूमि से कम नहीं है।
राज्यपाल ने कहा कि अपने गुरुजनों को हमेशा सम्मान दें। मेरी पढ़ाई जहां हुई, वहां मैं अक्सर जाती हूँ। अपने गुरुजनों की सीख की वजह से आज मैं यहां हूँ। मैंने अपने जीवन से यह सीखा है कि जब भी आप कोई शुभ संकल्प लेते हैं और उसे पूरा करने कड़ी मेहनत करते हैं तो वो संकल्प पूरा होता है। उन्होंने कहा कि बीआईटी में नवाचारों को हमेशा प्रोत्साहन दिया जाता है। यही वजह है कि 36 बरसों से यह संस्थान लगातार अपनी छवि को कायम रखने में सफल रहा है। इसके पीछे इसके पूर्व विद्यार्थियों का भी बड़ा हाथ है जिन्होंने देश-विदेश में सभी क्षेत्रों में ऊंचा नाम कमाया। ऐसे सीनियर हमेशा अपने आने वाली पीढ़ी के लिए पथप्रदर्शक होते हैं और नई पीढ़ी को भी लगता है कि हमारे लिए भी तरक्की करने के लिए पूरा आकाश खुला है।
इस मौके पर संस्थान के मेंबर सेक्रेटरी आईपी मिश्रा ने बताया कि बीआईटी में हमेशा हमारी कोशिश रही है कि पढ़ाई की गुणवत्ता ऊँची दर्जे की रहे, साथ ही इससे जुड़ा हुआ अनुशासन भी ताकि जब विद्यार्थी यहां से पढ़कर निकले तो पूरी तरह अपनी विधा में पारंगत हो। कड़ी मेहनत के बूते यह प्रयास सफल हुए हैं। आज जब 1997 बैच को देखता हूँ तो महसूस होता है कि कड़ी मेहनत के शानदार नतीजे निकलते हैं। संस्थान के डायरेक्टर डा. अरुण अरोरा ने कहा कि बीआईटी के विद्यार्थी दुनिया भर में नाम कमा रहे हैं। यहां तक कि अमेरिका में भी इनका एलुमनी एसोसिएशन बना हुआ है। इस मौके पर प्राचार्य मोहन गुप्ता ने भी अपना संबोधन दिया। इस मौके पर वाइस प्रिंसिपल डा. मनीषा शर्मा भी उपस्थित रहीं। 1997 बैच के छात्र के रूप में बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में पूर्व छात्र-छात्राओं ने अपने अनुभव भी साझा किये।
बाक्स
दोस्तों ने 25 साल पहले बना दिया था विधायक
बिलासपुर से कांग्रेस विधायक शैलेश पांडेय ने हरिभूमि से चर्चा करते हुए कहा कि सन 1993 में 12वीं पास करने के बाद बीआईटी में दाखिला लिया था। बतौर हाॅस्टलर उन्होंने अपनी पढ़ाई शुरु की। चार साल तक सुख-दुख अपने सहपाठियों से बांटा वे लोग कब उनके जिंदगी बन गए। इसका पता ही नहीं चला। शैलेश पांडेय ने आज के कार्यक्रम में शामिल होने पर उन्हे बेहद प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने बताया कि 1997 में सोवेनियर में दोस्तों ने उन्हें आज का विधायक टाइटल दिया था। आज के कार्यक्रम में दोस्तों ने इस प्रसंग को याद किया। श्री पांडेय ने कहा कि ईश्वर की कृपा माता-पिता के आशीर्वाद आैर गुरुजनों की शिक्षा के वजह से आज वे मुकाम पर पहुंचे थे।
बाक्स
सहपाठियों के बीच बैठक सेलिब्रेसन किया पांडेय ने
सिल्वर जुबली सेलिब्रेसन के दौरान राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने विधायक शैलेश पांडेय की जमकर तारीफ की। मंच संचालन द्वारा श्री पांडेय को मंच पर बैठने का आमंत्रण दिया गया, लेकिन श्री पांडेय अपने सहपाठियों के बीच बैठकर सेलिब्रेसन करते रहे। सहपाठियों के बीच बैठक शैलेश पांडेय पुराने दिनों को ना सिर्फ याद किया बल्कि अपने जीवन के अनुभव को भी साझा किया। सभी सहपाठियों ने अपने क्लास रूम आैर बीआईटी कैंपस का निरीक्षण
भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 1997 बैच के छात्रों का हुआ पुनर्मिलन
बीआईटी के छात्र-छात्राओं ने राज्य और देश का नाम विदेशों में रोशन किया – – राज्यपाल अनुसुइया उईके
अपने गुरुओं का सदैव सम्मान करें उन्होंने आपके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वक्त में आपका साथ दिया है – – – राज्यपाल अनुसुइया उईके
बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय की सरलता और सहजता से मै भी प्रभावित हू – – – – राज्यपाल अनुसुइया उईके
कार्यक्रम में शामिल हुए नगर विधायक शैलेष पांडेय
दशकों बाद कालेज की बेंच पर बैठे, दीवारों को निहारा और पुराने मित्रों के साथ कालेज के दिनों की यादें ताजा कीं तो आंखें खुशी से छलक पड़ीं। कालेज से निकलने के बाद कौन कहां गया और अब कहां है, यह जानने में ही काफी वक्त बीत गया। मौका था भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बी.आई.टी) के 1997 बैच के छात्रों के पुनर्मिलन समारोह का।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल अनुसुइया उइके उपस्थित रही। साथ में भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ट्रस्ट सचिव आई पी मिश्रा, संचालक डॉ अरुण अरोरा, प्राचार्य डॉक्टर एनके गुप्ता, उप प्राचार्य डॉक्टर मनीषा शर्मा उपस्थित रही।
परिवार संग पहुंचे पुराने छात्रों ने अपने बच्चों को दिखाया कि वे कहां बैठा और खेला करते थे। समारोह में कई पूर्व शिक्षकों को भी बुलाया गया और उन्हें सम्मानित भी किया गया। बीआईटी में 1997 बैच के छात्र और वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय समेत बड़ी संख्या में पुराने छात्रों ने समारोह में भागीदारी की।
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों आयोजित होने से नए बच्चों को प्रेरणा मिलती है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि इस संस्थान में पढें पूर्व छात्र छात्राओं ने क्या कार्य किए ऐसे कार्यक्रमों से नए बच्चों को जानने का अवसर प्राप्त होता है। ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों के मन में भावना जागृत हुई कि वह भी यहां से शिक्षा लेकर देश और विदेश में जाकर सेवा करें।
जब कोई युवा अपने भविष्य का सपना संजोए शिक्षा परिसर में प्रवेश करता है और 4 वर्ष के निर्धारित पाठ्यक्रम में पढ़ता है तो अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ता है। इन वर्षों में विद्यार्थी को संस्था से भावनात्मक लगाव हो जाता है। इन वर्षों में बताएं संस्था में स्मरणीय पल युवा दिनों की छोटी-बड़ी यादें आपस की नोकझोंक और ना जाने कितना ही पल निरंतर याद आते हैं और ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से उन पलों को याद करना उन्हें जीना एक उपलब्धि के समान है।
विधायक शैलेष पांडेय ने बताया कि 12 अप्रैल 1986 को 180 बच्चों के साथ भिलाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी प्रारंभ किया गया था। वर्तमान में यहां लगभग 3000 बच्चे अध्ययनरत हैं। अमेरिका, भोपाल, पुणे सहित अन्य जगहों में भी बीआईटी एसोसिएशन कार्य कर रही है। वर्ष 1997 में मैंने भिलाई इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दुर्ग से बी.ई की शिक्षा प्राप्त की है। 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती पुनर्मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें 1997 बैच के सभी छात्र छात्राएं मित्रगण बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।