आलोक मित्तल

नागरिक सुरक्षा मंच ने रेल रोको आंदोलन करने का निर्णय लिया है । नागरिक सुरक्षा मंच ने एक बार फिर रेलवे प्रशासन पर छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पिछले 1 वर्ष से मंडल में यात्री गाड़ियों को निरस्त किया जा रहा है तथा ट्रेनों की घंटो लेटलतीफी से यात्रा करने वाले नागरिक परेशान हैं। इसी मुद्दे पर 21 सितंबर को नागरिक सुरक्षा मंच द्वारा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर रेलवे अधिकारियों से चर्चा की गई थी। उस दौरान अधिकारियों ने 1 सप्ताह के भीतर समस्याओं के निराकरण का वादा किया था, लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद भी हालात जस के तस है।

नागरिक सुरक्षा मंच ने कहा कि लगता है बिलासपुर में एक और बड़े आंदोलन की प्रतीक्षा की जा रही है। आम जनता के लिए सबसे सुविधाजनक यातायात के माध्यम को रेलवे ने अपनी आय बढ़ाने का जरिया बना लिया है। चंद व्यवसायियों को लाभ पहुंचाने की नियत से माल ढुलाई को प्राथमिकता दी जा रही है। कोयला लदान वाली गाड़ियां पटरियों पर बेखौफ दौड़ रही है। मालगाड़ी को क्लीयरेंस देने के लिए यात्री गाड़ियों को घंटो घंटो रोका जा रहा है।
रेल यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए नागरिक सुरक्षा मंच ने अब आगामी 12 अक्टूबर को दोपहर 2:00 बजे रेल रोको आंदोलन करने का निर्णय लिया है। इसके लिए जगह-जगह रेलो को रोका जाएगा ।

दावा किया जा रहा है कि इस आंदोलन को सामाजिक संगठनों ,राजनीतिक संगठनों, व्यापारी, छात्र संगठन सहित बिलासपुर कोरबा जांजगीर चांपा अकलतरा सक्ति खरसिया और रेल रूट में पड़ने वाले सभी स्टेशनों के नागरिकों का समर्थन प्राप्त है। ट्रेने कहां-कहां रोकी जाएंगी, इसकी घोषणा आंदोलन के 3 दिन पहले की जाएगी। ट्रेनों को रोकना हालांकि गैर कानूनी है इसलिए जाहिर है रेलवे की ओर से भी इसे लेकर सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए जाएंगे या फिर कुछ ट्रेनों को उस दिन निरस्त किया जा सकता है। इधर रेलवे अधिकारियों का कहना है कि तीसरी लाइन की मरम्मत और निर्माण की वजह से ऐसा किया जा रहा है। वही देश के सभी पावर प्लांट में कोयला आपूर्ति के लिए माल गाड़ियों को प्राथमिक देना भी आवश्यक है।

इससे पहले जोन आंदोलन को लेकर भी यह शहर जल चुका है। ट्रेन रोकने की कोशिश में आंदोलनकारियों के हाथ से ही आंदोलन खिसक कर उग्र हो गया था । इसके बाद कई ट्रेनें जला दी गई और बिलासपुर में कई दिनों के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया था। वैसे किसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए रेल प्रशासन को सतर्कता बरतनी होगी।

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