एक पिता जिसने अपने बेटी की शादी के लिए अपने खून पसीने की कमाई का पाई-पाई जोड़कर चिटफंड कंपनी में पैसे जमा किया और उस पिता के सपनों को चिटफंड कंपनी ने कैसे लूटा

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू-7.9.22

पखांजूर,,
एक बेबस पिता जिसने अपने बेटी के बेहतर भविष्य और धूमधाम से अपने बेटी को उसके ससुराल भेजने का सपना देखा था , पर उसके इन सपनों पर चिटफंड कंपनी के एजेंटों की ऐसी नज़र पड़ी कि उसके सारे सपने बिखरकर रह गए । कोयलीबेड़ा ब्लॉक के ग्रामपंचायत चाणक्यपुरी के आश्रित ग्राम सत्यानंदपुर निवासी परेश हाजरा की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है और वो मजदूरी कर जैसे-तैसे अपने परिवार का पेट पालता हैं । परेश अपने बेटे-बेटी और पत्नी के साथ एक टूटे-फूटे झोपड़े में रहता हैं । परेश ने अपने बेटी की शादी के सपने लिए अपना पेट काटकर पाई-पाई जोड़कर 15000/- रुपये जमा किये । परेश के इस खून-पसीने के जमापूंजी पर गांव के ही एक शिक्षक की नज़र पड़ी और उसने परेश को एक चिटफंड कंपनी द्वारा पाँच साल में पैसे डबल कर देने का सपना दिखाया । परेश ने अपने बेटी की बेहतर तरीके से शादी करने की उम्मीद लिए शिक्षक को 15000/- रुपये दे दिए । 2014 में परेश ने चिटफंड कंपनी में इन्वेस्ट किया जो वादे के अनुसार 2019 में डबल हो जाने थे । पर जब 2019 के बाद परेश अपने पैसे लेने शिक्षक के पास गया तब शिक्षक ने कंपनी बंद हो जाने का हवाला देते हुए उसे पैसे देने से साफ इंकार कर दिया , जिसके बाद कई बार परेश द्वारा शिक्षक से विनती की गयी , कई दफ़े शिक्षक के घर के चक्कर लगाया पर शिक्षक ने उसकी एक न सुनी । इस बीच परेश के बेटे की तबियत बिगड़ी तो वो फिर से शिक्षक के दर पर गिड़गिड़ाता रहा पर इस पे भी शिक्षक का मन नही पसीजा और उसने परेश को खड़ी-खोटी सुना दिया जिसके बाद वह रोते हुए घर चला आया और जैसे-तैसे अपने बेटे का इलाज कराया । आठ साल पहले एक पिता द्वारा अपने बेटी की शादी के लिए देखा गया सपना अब टूटकर बिखर गए हैं । परलकोट क्षेत्र में ऐसे कई चिटफंड कंपनियों ने परेश जैसे गांव के भोले-भाले और कम पढ़े-लिखे लोगों को अपना शिकार बनाया और उनके करोड़ो रूपये लेकर भाग खड़े हुए । ऐसे चिटफंड कंपनियों के एजेंटो के लिए परेश जैसे लोग सॉफ्ट टारगेट होते हैं । कम पढ़े-लिखे होने के चलते परेश जैसे लोग इसकी शिकायत भी नही करते जिसका फायदा एजेंट उठाते हैं। बरहाल चिटफंड कंपनी के एजेंटो ने इस गरीब पिता के सपने को पैरों तले रौंद दिया हैं । सवाल फिर एक बार वही रुकती है कि क्या इस बेबस पिता को न्याय मिल पायेगा ? क्या शिक्षक परेश को उसके हक़ का पैसा लौटायेगा।

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