उपन्यासकार को किताब प्रकाशन के लिए सहयोग, विधायक नाग ने सौंपा चेक , विधायक बोले उपन्यासकार होना अपने आप में ही एक बड़ा सम्मान, बांदे के संतोष कीर्तनिया को मिला एक लाख रुपए का चेक

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू-1.8.22

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सहयोग एवं क्षेत्रीय विधायक अनूप नाग के प्रयासों से बांदे क्षेत्र के ग्राम पंचायत जनकपुर के आश्रित गांव पी.व्ही.79 निवासी संतोष कीर्तनिया जो दशकों से अपने अंदर एक उपन्यासकार को छुपाए बैठे थे उन्हें अब अपने अंदर के साहित्य प्रेम को लोगों के सामने प्रस्तुत करने का राज्य सरकार से सहयोग मिला है ।

दरअसल श्री कीर्तनिया जो बंगाली समुदाय से आते है उन्होंने बंगाली भाषा में ही अपने लेख क्षमता से दो दो उपन्यास लिखे है जो वर्षो से इसके प्रकाशन का सपना संजोए हुए बैठे थे सुदूर अंचल के छोटे से गांव के होने के पश्चात भी उनके साहित्य के प्रति प्रेम और रुचि कभी कम नहीं हुई और आज उनका यह अधूरा सपना साकार होने की ओर अग्रसर है ।

विधायक अनूप नाग जो स्वयं हर आयु वर्ग के लोगो को उनके प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने एवं प्रोत्साहन देने का कार्य करते है उन्ही के साथ श्री कीर्तनिया ने मुख्यमंत्री निवास में सीएम भूपेश बघेल से मिलकर अपनी बात रखी जहां सीएम ने उन्हें अपने किताब के प्रकाशन के लिए एक लाख रुपए देने की घोषणा की । जिसके पश्चात आज विधायक नाग ने स्वयं श्री कीर्तनिया को अपने विधायक कार्यालय अंतागढ़ में उनके उपन्यास के प्रकाशन के लिए 1 लाख रुपए का चेक प्रदान कर अपनी शुभकामनाएं दी ।

श्री कीर्तनिया की जीवन की सबसे बड़े सपने को वह साकार होने की ओर अग्रसर होते देख वह भी खुशी से झूम उठे और विधायक नाग को गले लगाकर उन्हें अपनी ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया और साथ ही विधायक के समक्ष ही उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी का भी विशेष आभार व्यक्त किया ।

लेखक समाज के लिए प्रकाश स्तब्ध :- विधायक नाग

विधायक नाग ने इस दौरान कहा की उपन्यासकार होना ही अपने आप में एक बड़ा सम्मान है उन्होंने कहा देश की आजादी में अलग अलग वर्ग के बहुत से लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन उपन्यासकारो, साहित्यकारों, कवियों, लेखकों, रचनाकारों व पत्रकारों ने समाज को जागरूक करने में अहम योगदान दिया । इससे देशभक्ति आंदोलन को बल मिला और राष्ट्रप्रेम व जनजागरण की भावना आई । साथ ही उन्होंने कहा की समाज के लिए प्रकाश स्तब्ध का काम करने वाले साहित्यकारों को ऐसे ही आगे शासन से सहयोग करते रहेंगे ।

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