आकाश दत्त मिश्रा
संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान उम्मीदों पर आरंभ से ही खरा नहीं उतरा है। यहां व्यवस्थाओं में सुधार के कितने भी दावे किए जाएं लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है। संभाग के लाखों लोगों का इलाज का दावा करने वाला सिम्स स्वयं बीमार है और इसकी बीमारी की वजह यहां अकुशल प्रबंधन है। जिस दौर में निजी अस्पताल आलीशान होटल जैसी सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, उस दौर में सिम्स में बुनियादी आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो रही। खराब मशीनें, चिकित्सकों का अभाव और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से जूझ रहे सिम्स में पहुंचने वाले मरीजों और उनके परिजनों को प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए भी जूझना पड़ता है।
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शौचालय की महत्ता पर आरम्भ से ही जोर देते रहे हैं, तो वहीं प्रदेश के मुखिया और स्वास्थ्य मंत्री भी लगातार सिम्स को बेहतर करने की दिशा में प्रयास करते रहे हैं। बावजूद इसके यहां की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
सिम्स के चौथे फ्लोर में स्थित आईसीयू में भर्ती मरीजों के परिजनों के उपयोग के लिए बनाए गए टॉयलेट को इसका जिता जागता उदाहरण है। वैसे तो सिम्स में स्थित है सभी शौचालय बदतर हालत में है। कहीं दरवाजे के स्थान पर पर्दे लटके हैं, तो कहीं टोंटी और टॉयलेट सीट ही टूटे हुए हैं। सिम्स के शौचालयों को देखकर लगता ही नहीं कि यहां कभी सफाई की भी जाती होगी। जिस अस्पताल में साफ सफाई की अत्यधिक आवश्यकता है वहां ऐसी लापरवाही हैरानी उत्पन्न करती है। जिसके कारण आईसीयू में भर्ती मरीजों के परिजनों के लिए शौचालय जाना नारकीय कष्ट दायक साबित हो रहा है। यहां शौचालय का इस्तेमाल करना तो दूर की बात इसकी तस्वीरें भी आम लोगों से देखी नहीं जाएगी। शौचालय इस कदर गंदा और बदबूदार है कि यहां एक पल के लिए भी टिकना नामुमकिन है। लेकिन मजबूरी में मरीज के परिजन ऐसे ही गंदे शौचालय का इस्तेमाल करने को अभिशप्त है। यहां टॉयलेट सीट टूटा फूटा है, निकासी सही ना होने से हर तरफ मल मूत्र जमा हो गया है। यहां तीव्र दुर्गंध उबकाई पैदा करती है लेकिन मजबूरी में अस्पताल पहुंचे लोगों को इसी टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। प्रबंधन से भी इसकी शिकायत की गई है लेकिन हालात बदलने को जैसे वे तैयार ही नहीं हैं।
बिलासपुर और आसपास के जिलों से गंभीर स्थिति में मरीजों को बिलासपुर के सिम्स रिफर किया जाता है, जहां इलाज की क्या कहें शौचालय तक अमानवीय है । सिम्स में भर्ती इन्हीं शौचालयों का उपयोग करने वाले लोगों ने इस ओर ध्यान आकर्षित कराया है, लेकिन इसके बाद भी यहां के हालत में किसी प्रकार का सुधार होगा, इसकी उम्मीद कम ही है। सिम्स के चौथे माले में स्थित आईसीयू में मरीज के परिजनों के लिए बने शौचालय के भीतर की तस्वीर देखने के लिए मजबूत कलेजे की आवश्यकता है, तो सोचिए कि लोग कैसे इसमें इसका उपयोग करते होंगे ? यह स्थिति अमानवीय है। सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किए जाने वाले खर्च के बावजूद सिम्स की यह स्थिति निराशाजनक है। जिस दौर में निजी अस्पताल साफ-सफाई पर विशेष जोर देते हैं ,उस दौर में सिम्स की यही स्थिति मरीजों को निजी अस्पताल की ओर रुख करने को विवश कर रही है। अब इन तस्वीरों को देख कर भी अगर सिम्स प्रबंधन की आंखें नहीं खुलती है तो फिर समझ लीजिए कि यहां के हालात में सुधार होने की गुंजाइश ही खत्म हो चुकी है।