एक तरफ संभाग के वनों में हाथियों का प्रवेश हो चुका है, दूसरी ओर गर्मी का मौसम शुरू होने से जंगलों में आग लगने का खतरा भी बरकरार है। और इसी दौरान 12 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के बैनर तले वन कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। ग्रेड पे और वेतन विसंगति समेत 12 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रांतीय आह्वान पर छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारी 21 मार्च से हड़ताल पर है, जिससे वन विभाग का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। कर्मचारियों ने कहा कि विगत 7 सालों से उन्होंने अपनी मांग को सभी सक्षम पटल पर रखा है, लेकिन उनकी मांग पर किसी तरह की सार्थक पहल नहीं हुई, लिहाजा उन्हें हड़ताल करना पड़ा है। हड़ताल की वजह से जंगल असुरक्षित है और इसे लेकर शासन पर लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है ।
कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन की प्रमुख मांगों को बताते हुए कहा कि वनरक्षक का वेतनमान वर्ष 2003 से ₹3050 स्वीकृत किया जाए। वनरक्षक , वनपाल, उपवन क्षेत्रपाल कर्मचारियों का वेतन मान मांग अनुसार किया जाए। पुरानी पेंशन योजना लागू किया जाए। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात नया सेटअप पुनरीक्षण किया जाए। पदनाम भर्ती हेतु संबोधित नाम अन्य पहचान निर्धारित आदेश जारी किया जाए। महाराष्ट्र सरकार की तरह पोस्टिक आहार, वर्दी भत्ता ₹5000 किया जाए। वन कर्मचारियों और विभागीय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वन विभाग द्वारा संचालित पर्यटन स्थलों पर निशुल्क प्रवेश दिया जाए। भृत्य, वानीकी चौकीदार का समायोजन किया जाए। दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों का नियमितीकरण किया जाए। इस तरह की विभिन्न मांगों के साथ छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ ने हड़ताल आरंभ कर दिया है, जिनका कहना है कि अगर यह हड़ताल लंबी खींची तो फिर इसका नकारात्मक प्रभाव संभाग के जंगलों पर पड़ेगा, क्योंकि इन दिनों मरवाही, कोरबा क्षेत्र हाथी प्रभावित है और इस क्षेत्र में कोई भी वन कर्मी कार्यरत नहीं है।