पखांजुर से बिप्लब कुण्डू

पखांजुर:-
छतीसगढ़ प्रदेश भाजपा के ऊर्जावान एवं सक्रिय नगर पंचायत अध्यक्ष रधेलाल नाग ने 05 फ़रवरी को बसंत पंचमी औऱ सरस्वती पूजा के शुभावसर पर समस्त क्षेत्रवासियों, विधानसभावासियों,को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है रधेलाल नाग ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि बसंत पंचमी से ऋतुराज बसंत का आगमन होता है, इस समय प्रकृति अपना सर्वोच्च निखार लिए होती है, इसलिए बसंत पंचमी को हरियाली औऱ फ़सल के त्यौहार के रूप में भी मनाते हैं!इस दिन विद्या कला और संगीत ज्ञान औऱ बुद्धी की देवी माँ सरस्वती की पूजा एवं आराधना भी की जाती है!


रधेलाल नाग ने आगे कहा कि श्री पंचमी या बसंत पंचमी(सरस्वती पूजा)यह एक हिंदू त्यौहार है!इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती हैं, यह पूर्वी भारत में पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल औऱ कई राष्ट्रों में बड़े उमंग एवं उल्लास से मनायी जाती है, इस दिन पिले वस्त्र धारण करते हैं शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है!
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों का फूल मानो सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर मांजर (बौर) आ जाता और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। भर-भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती हैं। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।

पर्व का महत्व—–

वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है।
यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल ) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।
रधेलाल नाग ने इस सुअवसर पर कामना की है कि ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ यह पर्व सभी के जीवन में नई ऊर्जा, उमंग, औऱ उत्साह का संचार लेकर आए ज्ञान बुद्धि संगीत की देवी माँ सरस्वती की आराधना विशेष अवसर बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!

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