कथित समाजसेवी सपना सराफ गिरफ्तार, अटल आवास दिलाने के नाम पर ठगी का आरोप

आकाश मिश्रा


बिलासपुर। सरकंडा पुलिस ने खुद को समाजसेवी और सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाली सपना सराफ को ठगी के गंभीर मामले में गिरफ्तार किया है। आरोप है कि सपना सराफ ने अटल आवास योजना का लाभ दिलाने का झांसा देकर लोगों से मोटी रकम वसूली और उन्हें फर्जी रसीद थमा दी। लंबे समय तक पीड़ितों को गुमराह करने के बाद मामला तब खुला जब पीड़ित महिलाएं कलेक्टर जनदर्शन में अपनी शिकायत लेकर पहुंचीं।

3.40 लाख रुपए लेकर काटी फर्जी रसीद

नगर निगम बिलासपुर के कर्मचारी सौरव तिवारी की शिकायत पर सरकंडा थाने में मामला दर्ज किया गया। तिवारी ने बताया कि कल्याण बाग राजकिशोर नगर निवासी सपना सराफ ने उमा साहू और संतोषी विश्वकर्मा से अलग अलग अटल आवास दिलाने का भरोसा देकर 1 लाख 70 हजार रुपए वसूले। 3.40 लाख रकम लेने के बाद सपना ने नगर निगम का ही फर्जी रसीद बुक छपवाकर दोनों महिलाओं को रसीद दे दी।

लेकिन न तो उन्हें मकान मिला और न ही पैसे लौटाए गए। इसके बाद पीड़िताओं ने कलेक्टर जनदर्शन में लिखित शिकायत दी थी। कलेक्टर ने इस मामले को गंभीर मानते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए। जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद पुलिस ने सपना सराफ को गिरफ्तार कर लिया।

पहले भी लगे थे ऐसे आरोप

मामले की खास बात यह है कि सपना सराफ का नाम अकेला नहीं है। इसी तरह का आरोप पहले वार्ड क्रमांक 50 के पूर्व पार्षद अमित सिंह पर भी लग चुका है। अमित सिंह पर नगर निगम की फर्जी रसीद के सहारे लंबे समय तक किराया वसूलने का मामला सामने आया था। संयोग यह है कि सपना सराफ और अमित सिंह दोनों ही एक धार्मिक संगठन से भी जुड़े रहे हैं।

एनजीओ भी चलाती थी सपना

पुलिस सूत्रों के अनुसार, सपना सराफ खुद को समाजसेवी बताती है और एक एनजीओ का भी संचालन करती है। साथ ही वह पुलिस द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भी सक्रिय भागीदारी निभाती देखी जाती है । इसी सामाजिक छवि का फायदा उठाकर उसने लोगों को भरोसे में लिया और ठगी की। फिलहाल पुलिस ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

फिलहाल केवल दो महिलाएं ही शिकायत लेकर सामने आई है। बताया जा रहा है कि सपना सराफ ने 14 लोगों से कुल 23 लाख रुपए लिए हैं।

नगर निगम की छवि पर सवाल

इस घटना ने नगर निगम की छवि को भी धूमिल किया है। कलेक्टर ने साफ कहा था कि इस तरह की फर्जीवाड़ा योजनाओं की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है और सीधे तौर पर शासन-प्रशासन की छवि खराब करता है।


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