श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का राजराजेश्वरी देवी के रूप में  किया जाएगा पूजन अर्चन

छत्तीसगढ़ बिलासपुर सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है, साथ ही साथ मध्यान काल मे श्री पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ भी किया जा रहा है ।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के तीसरे दिन प्रातःकालीन श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार षोडशी देवी के रूप में किया जाएगा।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि माँ के अंदर 16 कलाएं विद्यमान हैं, जिसके कारण इन्हें षोडशी के नाम से जाना जाता है। और उनके अत्यंत सुंदर और अद्भुत स्वरूप, जोकि तीनों लोकों में अतुलनीय है, इसी कारण उन्हें त्रिपुर सुंदरी कहकर बुलाया जाता है।जिस आसान पर माँ विराजमान हैं, उस आसान को भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा, शिव के ही दो अन्य स्वरूपों ने अपने सिर पर उठाए हुए हैं। उस आसान पर भगवान शिव आरामदायक मुद्रा में लेटे हुए हैं, जिनकी नाभि से एक कमल का पुष्प निकला हुआ है, जिसपर माँ त्रिपुर सुंदरी विराजमान हैं।माँ का वर्ण स्वर्णिम है और उनके शरीर पर लाल रंग का वस्त्र शोभायमान है। उन्होंने कई अद्भुत आभूषण धारण किए हुए हैं, जिससे उनके चेहरे पर एक अद्भुत तेज उभर कर आ रहा है। माँ के केश खुले हुए हैं जिसके ऊपर माँ ने मुकुट धारण किया हुआ है। महादेव के समान ही उनके माथे पर तीसरा नेत्र है। माँ अपने चतुर्भुजी स्वरूप में विराजमान हैं, जिनके एक हाथ में पुष्प रुपी पांच बाण, दूसरे में धनुष, तीसरे में अंकुश व चौथे में फंदा सुशोभित हो रहा है।

माँ की अनन्य भक्ति से भक्त को सुखी वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है। इनके भक्त धैर्यवान, मन को अपने वश में रखने वाले होते हैं। महादेव का षोडशी देवी से संबंधित अवतार रुद्रावतार षोडेश्वर महादेव हैं।तृतीय महाविद्या माता षोडशी के बारे में। त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाने जाने वाली यह देवी अत्यंत सौम्य कोटी की देवी मानी गई हैं। माँ के ललिता, राजराजेश्वरी, लीलावती, कामाक्षी, कामेश्वरी, ललिताम्बिका, ललितागौरी इत्यादि नाम भी है।

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