राजधानी रायपुर डकैती कांड का खुलासा, पीड़ित के बहन ने ही अपने करीबी रिटायर्ड फौजी के साथ मिलकर घटना को दिया था अंजाम

राजधानी रायपुर में 60 लाख से अधिक की डकैती के मामले में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। खास बात यह है कि इस कांड में पीड़ित की सगी बहन की भी भूमिका संदिग्ध है, जिसके दोस्त रिटायर्ड फौजी ने ही इस पूरे लूट के मामले को अंजाम दिया।

रायपुर में नगरीय निकाय चुनाव के रोज दिन-दहाड़े 20 मिनट के अंदर 65 लाख की डकैती हो गई। यह डकैती खम्हारडीह थाना इलाके के अनुपम नगर में हुई। डकैत कमांडो ड्रेस पहनकर घर में घुसे और घर में मौजूद तीन बुजुर्गों को पिस्टल अड़ा कर बंधक बना लिया। उन्हें डराने के लिए नकली इंजेक्शन लगाए गए, फिर खुद को नक्सली बताने के लिए लाल सलाम कहते हुए घर को बम से उड़ा देने की भी धमकी दी गई। इस दौरान घर में मौजूद 71 साल के प्रेमावेलु, 67 साल की रजनी वेल्लू और 70 साल के मनोहर वेल्लू को बंधक बनकर बिस्तर के नीचे मौजूद 60 लाख रुपए और जेवर आदि लेकर यह डकैत चलते बने।

पुलिस के लिए चुनौती बन गई इस डकैती की घटना पर 50 से ज्यादा पुलिस कर्मियों की टीम बनाई गई, जिन्होंने 48 घंटे के भीतर ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जिससे खुश होकर रायपुर आईजी ने टीम को 30 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की।

पीड़ित परिवार की एक जमीन मंदिर हसौद में थी जिसे बेचा गया था। इस रकम से एक मकान खरीदा गया था जिसका रिनोवेशन का काम चल रहा था तो वहीं शेष बचे 60 लख रुपए इन लोगों ने घर में ही रखा था। इधर लगातार अलग-अलग जरूरत की वजह से यह रकम खर्च हो रही थी, जिससे नाराज पीड़ित की एक बहन ने अपने दोस्त रिटायर्ड फौजी को घर में पैसे होने की जानकारी दी, जिसने घर में डकैती डालने की योजना बनाई।

पीड़ित व्यक्ति के बहन की पहचान एनजीओ के माध्यम से रिटायर्ड फौजी एम सोम शेखर से हुई थी। बताया जाता है कि दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। बीएसएफ के रिटायर्ड फौजी ने सुपारी देकर इस पूरी डकैती को अंजाम दिया था। वारदात का मास्टरमाइंड सोमशेखर वहीं पास में रहता है जहां पीड़ित परिवार किराए के मकान में रहता है।

डकैती की योजना बनाने के बाद सोमशेखर ने सबसे पहले अपने दोस्त देवलाल वर्मा और कमलेश वर्मा को इसके साथ जोड़ा। यह दोनों जमीन दलाली का काम करते हैं। इन्हीं लोगों ने घटनास्थल की रेकी की। इसके बाद इन लोगों ने पुषोत्तम देवांगन को भी जोड़ा। पुरुषोत्तम ने राहुल त्रिपाठी और उसकी पत्नी नेहा त्रिपाठी को अपने साथ शामिल कर लिया। इसके बाद नागपुर से शाहिद पठान और पिंटू सारवान जुड़े, साथ ही बिलासपुर के मनुराज मौर्य को भी इसमें जोड़ा गया।

डकैती के लिए नागपुर से आए शाहिद और पिंटू घर में घुसे। उनके साथ नेहा त्रिपाठी मनु राज और अजय थे। इन लोगों ने घटना को अंजाम दिया। बाकी साथी बाहर से नजर बनाए हुए थे।

इस रास्ते भागे

रायपुर के अनुपम नगर में वारदात को अंजाम देने के बाद डकैत विधानसभा रोड होते हुए मंदिर हसौद से नेशनल हाईवे की ओर गए। फिर रायपुरा चौक से होते हुए खारुन नदी ब्रिज के रास्ते अमलेश्वर से मोतीपुर एरिया में पहुंच गए। इसके बाद इन लोगों ने गांव का कच्चा रास्ता चुना ताकि सीसीटीवी कैमरे से बच सके। डकैतों की कार में नंबर प्लेट नहीं थी। इसके बाद उन्होंने मोतीपुर के आसपास एक दूसरी ऑल्टो के में कुछ लोगों को शिफ्ट किया। यहां उन्होंने पैसे आपस में बांट लिए। फिर डकैती करने वाली एक महिला ऑल्टो कर में सवार हो गई। इसके बाद दोनों कार एक साथ चलते हुए आगे गई। जिसका सीसीटीवी पुलिस को मिला और यही पुलिस के लिए मुख्य सुराग बना।

पुलिस ने सबसे पहले ऑल्टो मलिक को पकड़ा, जिसने सारी सच्चाई उगल दी। पुलिस ने उनके पास से 59 लाख हजार 50 रुपये और जेवरात बरामद किये है।

ये हैं आरोपी

इस मामले में पुलिस ने रायपुर निवासी 56 वर्षीय रिटायर्ड फौजी ए सोमशेखर के अलावा दुर्गा के अजय ठाकुर, गोरखपुर के राहुल त्रिपाठी, नेहा त्रिपाठी, रायपुर के देवलाल वर्मा, बलोदा बाजार के पुरुषोत्तम देवांगन, नागपुर के शाहिद पठान, पिंटू सारवान और बिलासपुर के मनुराज मौर्य के साथ रायपुर के कमलेश्वर को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने उनकी कार भी जप्त की है ।
मजे की बात यह है कि पीड़ित के जिस बहन को घर की जरूरत के लिए पैसे खर्च होने पर आपत्ति थी वहीं रुपए अनजान डकैतों के बीच बंट जाना उसे स्वीकार था लेकिन सगे भाई और बहन द्वारा उसे खर्च करना मंजूर नहीं था। ऐसे ही घर के भेदियों की वजह से ही बाहर के अपराधी कामयाब हो पाते हैं। पुलिस ने फिलहाल इस घटना की मास्टरमाइंड बहन के खिलाफ चार्जशीट नहीं बनाया है।

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