59 साल की उम्र में 13वीं बार रक्तदान कर सबके लिए प्रेरणा बने दिव्यांग विश्वनाथ मुखर्जी

मैं रक्तदान नहीं कर सकता.

मेरी इच्छा नहीं है रक्तदान करने की.

मुझे सुई से डर लगता है

मुझे खून देखकर के चक्कर आता है।

मेरे पास समय नहीं है

इस प्रकार के तमाम एक्सक्यूज लोग देते हैं रक्तदान से बचने के लिए।

पर आज हम आपको ऐसे शख्स से मिला रहे हैं जिनकी उम्र है 59 वर्ष, 2004 में फैक्ट्री में काम करने के दौरान एक हादसे में विश्वनाथ मुखर्जी ने अपना एक पैर गंवा दिया और दूसरे पैर में रॉड डाला हुआ है। उस समय उनकी जान बचाने के लिए जो ऑपरेशन किया गया, उसमें इन्हें 23 यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ा।

ठीक होने के बाद इन्हें यह एहसास हुआ कि रक्तदान क्यों जरूरी है । अगर लोग ऐसे ही एक्सक्यूज दे कर उस समय इन्हें रक्त नहीं देते तो शायद उनकी जान नहीं बच पाती।

इतनी सारी परेशानियों को झेलने के बाद भी यह रक्तदान शिविर में आए और 13वीं बार रक्तदान कर सबके लिए प्रेरणा बन गए।

अब आप सभी सोचिए जो रक्तदान नहीं करते।

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