बिलासपुर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो कहने को तो स्टूडेंट है लेकिन यह सभी गिरोह बनाकर साइबर ठगी कर रहे थे। इस गिरोह में कोई जम्मू कश्मीर से था , कोई हैदराबाद से,कोई बांग्लादेश से तो कोई कैमरून से। यह लोग सोशल मीडिया के माध्यम से शिकार ढूंढते थे, जिसे होटल ,लॉज, किला आदि का ऑनलाइन रिव्यू देकर घर बैठे पैसे कमाने का प्रालिभन दिया जाता था। इनके शिकार बन गए बिलासपुर के मोपका में रहने वाले सियारामशरण तिवारी। उनके व्हाट्सएप पर आए मैसेज पर दिलचस्पी दिखाने पर उन्हें बताया गया कि टेलीग्राम के माध्यम से भेजे गए लिंक पर गूगल मैप में होटल, लॉज, किला आदि की ऑनलाइन रिव्यू रेटिंग देकर वे स्क्रीनशॉट भेजे ।इसके बदले में उन्हें नियमित आय होने का भरोसा दिलाया गया, लेकिन ठग अलग-अलग बहाने से उन से पैसे मांगते रहे और इस तरह से उन्होंने 27 लाख 80 हजार 510 रुपये ठगों को दे दिए। जब उन्हें ठगे जाने का एहसास हुआ तो वे पुलिस के पास पहुंचे।

पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू की। बैंक स्टेटमेंट के साथ खाते से जिन एटीएम से रकम निकाली जा रही थी उनके फुटेज भी तलाशे गए। इसके बाद पुलिस निश्चित हो गई कि आरोपी हिमाचल प्रदेश के शिमला और सोलन के आसपास के है, जिसके बाद पुलिस की एक टीम हिमाचल प्रदेश पहुंच गई, जहां करीब एक सप्ताह तक कैंप लगाकर स्थानीय पुलिस की मदद से साइबर फ्रॉड की तलाश शुरू की। पुलिस की यह तलाश हैदराबाद के प्रियांशु रंजन तक जाकर पूरी हुई जो कहने को तो हैदराबाद से आकर सोलन के बाहरा यूनिवर्सिटी कालाघाट में पढ़ाई कर रहे थे। इस दौरान रंजन सिंह की दोस्ती जम्मू कश्मीर के राजवीर सिंह, बांग्लादेश खुलना के रहने वाले मोहम्मद सोबूज मोरल और कैमरून के टेम्को कार्ल नगेह से हुई। इन सभी ने गिरोह बनाकर साइबर ठगी शुरू कर दी। पता नहीं इन लोगों ने अब तक कितने लोगों को शिकार बनाया, जिनमें से बिलासपुर के सियारामशरण तिवारी भी एक थे। पुलिस ने उनके पास से बड़ी संख्या में फर्जी सिम कार्ड ,फर्जी बैंक पासबुक, लैपटॉप आदि बरामद किया है। साथ ही पुलिस ने उनके पास से करीब ₹9 लाख रुपए भी हासिल किए हैं। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने की बजाय लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा किया।

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