विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी बिना जिला अध्यक्ष के मुंगेली में चुनाव लड़ रही कांग्रेस, कई दावेदार मगर पार्टी के पास ठोस रणनीति नहीं

आकाश दत्त मिश्रा

पूर्व जिलाध्यक्ष

विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी मुंगेली में कांग्रेस बिना सेनापति के लड़ रही है। दरअसल विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज मुंगेली कांग्रेस जिला अध्यक्ष सागर सिंह बैस ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। कांग्रेस की सत्ता होने के बावजूद मुंगेली में बगैर जिला अध्यक्ष के चुनाव लड़ना कांग्रेस को भारी पड़ा और मुंगेली जिले के दोनों ही विधानसभा में भाजपा को जीत मिली। विधानसभा चुनाव हुए महीनो बीत चुके हैं और इस बीच लोकसभा चुनाव भी आ गए, लेकिन कांग्रेस , मुंगेली के लिए एक अदद जिला अध्यक्ष का जुगाड़ नहीं कर पाई।

दावेदार

विरोधी चुटकी ले रहे हैं कि कांग्रेस में कोई भी हार का ठीकरा अपने सर फोड़ने को तैयार नहीं, इसलिए मुंगेली में कोई भी कांग्रेस का जिला अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। पार्टी भी शायद किसी को बलि का बकरा नहीं बनाना चाहती, इसलिए लोकसभा चुनाव भी बिना जिला अध्यक्ष के ही लड़ा जा रहा है। अक्टूबर महीने में ही मुंगेली कांग्रेस के जिला अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था इसके बाद 6 महीने बीत चुके हैं ।आश्चर्य है कि 6 महीने बाद भी कांग्रेस एक जिला अध्यक्ष नहीं चुन पाई। हालांकि इस बीच प्रदेश में मोहन मरकाम की जगह दीपक बैज प्रदेश अध्यक्ष बन गए, जिन्होंने भी नई टीम बनाने की बात तो कही लेकिन मुंगेली के हिस्से कुछ नहीं आया। बिना जिला अध्यक्ष चुनाव लड़ने के ही नतीजा हैं कि मुंगेली जिले में कांग्रेस बेहद कमजोर हो चुकी है। भाजपा ने एक बार फिर से लोकसभा के लिए मुंगेली से ही प्रत्याशी तय किया है। ऐसे में बिना जिला अध्यक्ष के मुंगेली में कांग्रेसी पूरी तरह हताश और बिखरे हुए नजर आ रहे हैं।

हालांकि इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अब भी कुछ ऐसे कांग्रेसी हैं जो लगातार मुंगेली कांग्रेस जिला अध्यक्ष बनने के लिए जोर मार रहे हैं। इनमें संजय जायसवाल, संजय यादव रोहित शुक्ला , स्वतंत्र मिश्रा जैसे कई नाम शामिल है। इनमें भी संजय जयसवाल और संजय यादव के लिए परिस्थितिया ज्यादा अनुकूल है क्योंकि दोनों ही ओबीसी कोटे से आते हैं ।कांग्रेस हमेशा से ही जाति आधारित राजनीति करती रही है इसलिए उम्मीद की जाती है कि वह किसी पिछड़े वर्ग से ही अपना अध्यक्ष चुनेगी, लेकिन ऐसा कब होगा कहना मुश्किल है ।
फिलहाल तो विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी बिना अध्यक्ष के ही लड़ा जा रहा है और मुंगेली विधानसभा में कांग्रेस का प्रचार बेहद निराशाजनक है ।ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है। ऐसा शायद इसलिए भी है क्योंकि काफी लंबे अरसे से मुंगेली कांग्रेस के बड़े नेता और नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष हेमेंद्र गोस्वामी ने लोकसभा चुनाव के लिए काफी तैयारी की थी। बावजूद इसके स्थानीय होने के बाद भी उन्हें अवसर नहीं मिला। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार मुंगेली जिले से प्रत्याशी मैदान में उतारा है लेकिन कांग्रेस को स्थानीय प्रत्याशी नहीं मिला। उसे दुर्ग से प्रत्याशी आयात करना पड़ा। ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का निराश होना वाजिब है। नाम न छापने की शर्त पर मंगली कांग्रेस के लोग कहते हैं कि विपक्ष में रहने के दौरान कांग्रेस को मुंगेली में कई बड़े आंदोलन करने होंगे और इसके लिए एक जिला अध्यक्ष की अत्यंत आवश्यकता है। मुंगेली में ऐसे कई प्रबल दावेदार है जो यह भूमिका बेहतर निभा सकते हैं। संभव है कि इस आम चुनाव के बाद मुंगेली कांग्रेस को अपना जिला अध्यक्ष मिल जाए। यह जिम्मेदारी मौजूद दावेदारों में से किसी को मिलेगी या फिर कोई अप्रत्याशित चेहरा सामने आएगा, यह कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी।

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