शास्त्रों में भी कहा गया है कि अगर आप किसी को एक वक्त का भोजन कराते हैं तो उसकी कुछ देर की ही भूख मिट सकती है, लेकिन अगर उसे योग्य बनाकर उसे रोजगार का साधन उपलब्ध कराते हैं तो इससे वह आत्मनिर्भर होकर पूरे सम्मान के साथ अपना भरण पोषण कर सकता है। ऐसे ही स्वाभिमानी और योग्य व्यक्ति की मदद बिलासपुर के कुछ नेक दिल इंसानों ने की। मंगला बस्ती में छोटी से झोपड़ी में बुजुर्ग रिक्शा चालक माधव दास रहता है। उसके खुद की तरह उसकी रिक्शा भी पूरी तरह जर्जर हो चुकी थी। इसी जर्जर रिक्शा से वह किसी तरह दो लोगों के भरण पोषण का प्रयास कर रहा था। असल में उसकी रिक्शा इस कदर जर्जर हो चुकी थी कि उस पर आसानी से कोई भी बैठने को ही तैयार नहीं होता। अगर कोई सवारी मिल भी जाती, तो उसे दूर तक ले जाना संभव नहीं था। लेकिन पास में इतने पैसे भी नहीं थे कि इस टूटे फूटे रिक्शा की मरम्मत कर सके। किसी तरह माधव दास इसी रिक्शा से जिंदगी की गाड़ी खींच रहा था कि अचानक एक दिन ईश्वर की भी उसे। पर नजर पड़ी गई।
कहते हैं ईश्वर स्वयं मदद को नहीं आते लेकिन किसी को माध्यम बनाकर भेजते हैं। ऐसे ही माध्यम बने नर्मदा नगर में निरोग धाम का संचालन करने वाले डॉक्टर सर्वेश शर्मा ।उनकी निगाह माधव दास और उसके जर्जर रिक्शा पर पड़ी। मदद करने से पहले उन्होंने माधव दास की परीक्षा भी ली। उनसे कहा की वह उन्हें गोल बाजार तक छोड़ दे । माधव दास ने हाथ जोड़ दिए कि उनकी जर्जर रिक्शा इतनी दूर तक नहीं जा सकती। दान हमेशा योग व्यक्ति को मिलना चाहिए, इसी योग्यता की परख करने के लिए डॉक्टर सर्वेश शर्मा ने माधव को मुफ्त में शराब का भी ऑफर दिया तो माधव दास ने मना करते हुए हाथ जोड़ दिए। जिससे समझ में आ गया कि माधव दास योग्य भी है और जरूरतमंद भी। असल में डॉक्टर सर्वेश शर्मा के प्रिय मित्र और समाजसेवी करण गोयल का जन्मदिन 28 फरवरी को था, इसलिए विचार किया गया कि इसी खास मौके पर नेक कार्य किया जाए। इसके तहत इन्होंने माधव दास के जर्जर हो चुके रिक्शा की मरम्मत करवाई। पहले जर्जर रिक्शा की वजह से माधव दास खुद किसी तरह से जिंदगी की गाड़ी खींच रहा था।
डॉक्टर सर्वेश शर्मा ने मंगला चौक में सत्या साइकिल स्टोर में इस जर्जर रिक्शा की मरम्मत करवाई , जिस पर करीब साढ़े आठ हजार रुपए खर्च हो गए, लेकिन इससे यह रिक्शा एक बार फिर से नया जैसे बन गया है। जाहिर है इससे अब माधव दास की मुश्किलें कम होगी ।
गरीब रिक्शा चालक माधव दास की मदद कर डॉक्टर सर्वेश शर्मा भी अलौकिक आनंद का अनुभव कर रहे हैं। एक योग व्यक्ति को किए गए मदद को वे सफल मानते हैं ।
इधर अपने जन्मदिन पर इस नेक कार्य का हिस्सा बनकर करण गोयल भी अभिभूत है। उन्हें लगता है कि बड़ी-बड़ी पार्टी, जलसे और लाखों के खर्चे से भी ऐसा सुख नहीं मिलता, जैसा इस गरीब रिक्शा वाले की छोटी सी मदद कर अनुभव की जा रही है।
वैसे तो यह एक छोटी सी मदद है लेकिन यह मदद माधव दास के लिए कितनी बड़ी है, यह वही समझ सकते हैं, इसीलिए जब उनकी पुरानी जर्जर रिक्शा को चमचमाती रिक्शा बनाकर उन्हें लौटाई गई तो उनकी आंखें भी खुशी से चमक उठी। किसी के जन्मदिन पर अगर इस तरह से किसी जरूरतमंद की जिंदगी में रोशनी की जा सकती है, तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है । भारतीय परंपराओं में भी जन्मदिन पर फूंक मार कर मोमबत्ती बुझाने से कहीं बेहतर है किसी गरीब की जिंदगी में बिखरे अंधेरे में इस तरह से रोशनी करना।