अमृत मिशन पाइपलाइन की टेस्टिंग के दौरान बीच सड़क पर पानी का फव्वारा फूट पड़ा। इससे ठेका कंपनी की लापरवाही उजागर हुई है। पाइपलाइन लीकेज के चलते न केवल आवागमन प्रभावित हुई बल्कि यह पानी दुकानों में भी घुस गया।

बिलासपुर में अमृत मिशन योजना के परीक्षण के दौरान एक बार फिर से ठेकेदार की लापरवाही उजागर हुई है। करीब महीने भर पहले इसी तरह का मामला सरकंडा पुल के पास भी आया था, जहां टेस्टिंग के दौरान पाइपलाइन लीकेज का पता चला था। इस बार जगमाल चौक के पास और दयालबंद में लीकेज उभर आया। दरअसल ठेकेदार ने जगह-जगह पाइपलाइन को सही ढंग से जोड़ा ही नहीं है, तो कहीं वॉल्व भी नहीं लगा है । ऐसे में टेस्टिंग के दौरान जगह-जगह लीकेज उभर कर सामने आ रहे हैं। शनिवार सुबह इसी वजह से जगमाल चौक के पास सड़क पर फव्वारा फूट पड़ा, जिससे राहगीर हैरान रह गए। तो वहीं इस कारण से आवागमन भी बाधित हुआ । तेज फव्वारे से निकल रहा पानी दुकानों में घुस गया। इतना सब कुछ होने के बावजूद नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी गायब रहे।


बिलासपुर को जल संकट से मुक्ति दिलाने के लिए अमृत मिशन योजना के तहत खूंटाघाट से शहर वासियों के लिए पाली सप्लाई की योजना है। इसके लिए 301 करोड़ का ठेका इंडियन ह्यूम पाइप को दिया गया है ।अक्टूबर 2017 से इसकी शुरुआत हुई थी जिसे अप्रैल 2020 तक पूरा हो जाना था। डेडलाइन खत्म हुए भी 44 महीने हो गए। योजना का अता पता नहीं है ,लेकिन जब भी टेस्टिंग की जाती है तो इस तरह की खामी उभर कर सामने आती है। जानकार बता रहे हैं कि पाइपलाइन बिछाते समय ठेकेदार ने लापरवाही बरती है। कई जगह वाल्ब को पाइप लाइन से जोड़ा नहीं गया है। कुछ जगह तो पाइप को जोड़ना ही भूल गए है, इसलिए शनिवार को जब तोरवा क्षेत्र में टेस्टिंग की जाने लगी तो पानी का फवारा बीच सड़क पर फूट पड़ा और हजारो लीटर पानी सड़क से गुजर के नाली में बह गयी। इस कारण से लोग बेहद परेशान हुए। दरअसल अमृत मिशन योजना का काम बिलासपुर में रुक-रुक कर चल रहा है। शहर में 250 किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन और खूंटाघाट से बिरकोना तक 26 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाने में ठेका कंपनी को 5 साल लग गए। योजना के तहत 36 स्थान पर वाल्व लगाना था, लेकिन इसमें खामी उभर कर सामने आई है। एक महीने पहले भी टेस्टिंग के दौरान सरकंडा पुल के पास इसी तरह का हादसा सामने आया था।


दावा किया जा रहा है कि शहर के सभी घरों में शुद्ध पेयजल 24 घंटे उपलब्ध कराया जाएगा। योजना के लागू हो जाने के बाद भूजल पर निर्भरता कम होगी और टंकी भरने के लिए बोर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। योजना की सफलता को लेकर फिलहाल संदेह के बादल मंडरा रहे हैं , लेकिन इसकी खामिया जरूर रह रहकर सामने आ रही है। अंडरग्राउंड सीवरेज सिस्टम की तरह अमृत मिशन योजना भी सफेद हाथी साबित हुआ है । बहरहाल शनिवार को जगमाल चौक के नजारे यह बताने को काफी थे कि योजना को लेकर किस कदर लापरवाही बरती गई है। जगमाल चौक में सड़क के बीच में ऐसे फव्वारे फूट पड़े मानो जैसे यह सड़क नहीं कोई पार्क हो।

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