श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़ में चल रहे श्री पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ में 37 लाख 50 हजार आहुतियां दी जा चुकी है। दीपावली के पर्व पर श्री पीताम्बरा माँ बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार,परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी का पूजन श्रृंगार किया गया साथ ही श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का श्रीसूक्त षोडश मंत्र से दूध दरिया पूर्वक अभिषेक किया गया। साथ ही श्री सूक्त षोडश मंत्र द्वारा कमलगट्टे एवं शांक्लय से महालक्ष्मी देवी को 1728आहुतियां दी गई। एवं बेल की लकड़ी से हवन करने से भी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।27 नवंबर को श्री पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ की पूर्णाहुति संतों के सानिध्य में संपन्न होगा।श्री पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ रात्रिकालीन प्रतिदिन रात्रि 8:30 बजे से रात्रि 1:30 बजे तक निरंतर चल रहा है, तत्पश्चात महाआरती रात्रि 1:30 बजे किया जा रहा है।
पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ दिनेश जी महाराज ने बताया कि दीपावली को कालरात्रि भी कहा जाता है।दीपावली की मध्य रात्रि / महानिशिथ काल में पूजित मुख्य देवी महाकाली को तन्त्र में कालरात्रि भी कहा गया है। ये देवी नारायण की योगनिद्रा मानी गई है। जिनका प्राकट्य भगवान नारायण को योग निद्रा से उठाने के लिए हिरण्यगर्भ ब्रह्मा जी के आव्हान पर हुआ था।
दीपावली को कालरात्रि के नाम से भी जाना जाता है इस दिन भगवान श्री राम लंका से रावण का वध कर अयोध्या वापस आए थे; इसलिए कालरात्रि मिटाने के लिए अयोध्या में पूरी रात दिए जला कर श्री राम का स्वागत किया गया था।दीपावली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से विशेषमहत्व है। हिंदू दर्शन शास्त्र में दिवाली को आध्यात्मिक अंधकारपर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुदाई पर अच्छाई का उत्सव कहा गया है।
ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी के उपासना विशेष रूप से वाद विवाद, शास्त्रार्थ,मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए, कोई आकारण आप पर अत्याचार कर रहा तो उसे रोकने, सबक सिखाने,संकट से उद्धार,उपद्रवो की शांति, ग्रह शांति, संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदाई है।