पीतांबरा पीठ में संत समागम से पूर्व श्रीराम जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा संतो और भक्तों के द्वारा संपन्न की गई।प्रतिष्ठा के अवसर पर स्वामी विशोकानन्द भारती जी महाराज ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की मूर्ति प्रतिष्ठा पीताम्बरा पीठ अयोध्या के दैवी गुणों से ओतप्रोत हो गया है। माँ पीताम्बरा के तथा शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव की प्रतिष्ठा से पीताम्बरा पीठ तीर्थराज प्रयाग के पुण्य से गरिमामय हो गया है। स्वामी जी ने कहा कि स्वामी शारदानन्द जी के परम शिष्य महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद के तथा आचार्य श्री शुभेष शर्मन तथा पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी के पुरुषार्थ से इस प्रतिष्ठा से ब्रह्मलीन स्वामी शारदानंद जी महाराज के दैवी और दिव्य संकल्प की पूर्ति हुई है। संत समागम से पीताम्बरा धाम में कुंभ का दृश्य प्रकट हुआ। संतो को भगवन्तो ने भी पूज्य माना है क्योंकि संत कच्चा माल भगवन्त के योग्य बनाते हैं और इस कर्म में पूज्यपाद स्वामी शारदानंद जी का पुरूषार्थ ही कारण है। स्वामी जी ने कहा कि हम सब स्वामी शारदानंद जी के संकल्पित होकर इस इस पावन कार्य में शामिल हुए हैं। इस अवसर पर सभी संतो ने अपने अपने विचारों से तथा वचनों वचनामृतो से श्रद्धालु श्रोताओं को अभिव्यक्त किया।
संतों ने किया सनातन धर्म की रक्षा करने का आह्वान
पीतांबरा पीठ सरकंडा में संत सम्मेलन का आयोजन
बिलासपुर। सुभाष चौक सरकंडा स्थित श्री पीतांबरा पीठ में गुरूवार को संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमेंं मैनपुरी सहित देश भर से आए संत-महात्मा शामिल हुए। संतो ने सनातन धर्म की रक्षा करने आगे आने का आह्वान किया और बताया कि अभी सनातन को तोड़ने चातुर्दिक हमले हो रहे हैं। इससे सावधान रहने एवं एकजुट होने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का आरंभ आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद महाराज ने श्रीराम के सामूहिक भजन से कराया। इसके बाद दिल्ली से आए अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज के राष्ट्रीय संयोजक आचार्य सुभेष शर्मन ने पूरे 9 दिनों तक चले कार्यक्रम और अनुष्ठान पर प्रकाश डाला और बताया कि संत स्वामी विशोकानंद महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को श्रीमद देवी भागवत कथा का रसास्वादन कराया। शिव रूद्राभिषेक एवं चंडी पाठ से जगत जननी की उपासना की गई। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शारदानंद सरस्वती महाराज कहते थे कि जिसके जीवन में सदाचार नहीं है तो उपासना, प्रार्थना का फल नहीं मिलता। आज नई पीढ़ी को संस्कारित करने की आवश्यकता है। आज लोगोेें का आहार भी बदल गया है। श्रृंगार की व्यवस्था भी बदल गई है। पहनावे में विकृति आ गई है। फटे कपड़े पहनने से जीवन में दरिद्रता आती है पर आज फटी जींस पहनने को फैशन माना जाता है। आज से संकल्प लें कि वे अपने बच्चों को संस्कारवान
बनाएंगे। इस मौके पर पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य दिनेशचंद्र सहित अन्य संत-महात्मा एवं श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे।
परमात्मा राम है पूजनीय
दैवी संपद मंडल के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महराज ने कहा कि सनातन के शिष्यों के लिए परमात्मा राम पूजनीय हैं। उन्होंने पीतांबरा पीठ में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को अदभुत बताया और कहा कि धर्म की रक्षा करना हम सब की जिम्मेदारी है। इसे निभाने सभी का प्रयास हो।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानंद महाराज ने स्त्री मर्यादा पर अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि कण-कण, रोम-रोम में भगवान राम व्याप्त हैं। सनातन धर्म किसी की निंदा में विश्वास नहीं करता। सनातन धर्म की व्यवस्था दुनिया की सर्वोच्च व्यवस्था है। सारी सृष्टि मां मयी है। सम्मति गुरूओं की कृपा से प्राप्त होती है। उन्होंने सनातन को तोड़ने हो रहे चौतरफा हमले व साजिश पर भी क्रमबद्ध प्रकाश डाला।
सबसे ज्यादा मूल्यवान है समय
शिवकुंज आश्रम काशी के भगवताचार्य स्वामी सच्चिदानंद महाराज ने कहा कि उपासना का मतलब अपना मन, बुद्धि, ईष्ट, गुरु, मंत्र एवं शास्त्र चिंतन में लगाना है। शुभ कर्म करने का संकल्प लेना एवं रचनात्मक कार्य करना अपने विचारों को परिमार्जित करने का माध्यम है। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के समय ब्रम्हाण्ड की शक्तियां, उर्जा पृथ्वी के निकट आ जाता है और यह जीव का परमात्मा से योग कराता है। हम परमात्मा से स्वाध्याय, श्रम, दया, ज्ञान, यज्ञ के द्वारा जुड़ सकते हैं। इस समय कन्याओं को कुछ देने से उनकी संतुष्टी से कल्याण होता है। यही वजह है कि नवरात्रि में कन्या भोजन। पूजन कराए जाते हैं। भारतीय संस्कृति में पूजा का विधान है।