मोहम्मद नासिर
एक लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर बिलासपुर शहरी क्षेत्र में मौजूद कबाडियो के बुरे दिन आने वाले हैं। घरों से निकलने वाले कबाड़ को छोटे-छोटे हाथ और रिक्शा ठेले में खरीदने वाले आपके मोहल्ले भी आते होंगे। कभी सोचा है कि वे इस कबाड़ का क्या करते हैं ? आपको लगता है कि घरों से इकट्ठा किए गए कबाड़ को यह लोग बड़े कबाड़ीओं को बेच देते हैं। लेकिन यह तो तस्वीर का आधा हिस्सा भर है। असल में कबाड़ के कारोबार में लाखों करोड़ों का वारा न्यारा हो रहा है। शहर के अधिकांश बड़े कबाड़ी करोड़पति है और ऐसा ईमानदारी से संभव नहीं। आपके घर से 10 ₹20 में खरीदे गए कबाड़ से करोड़ों नहीं कमाए जा सकते। जाहिर है अधिकांश कबाड़ी काले कारोबार में लिप्त है। चोरी के सामान को भी कबाड़ की आड़ में खपा दिया जाता है । वाहन चोरी कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाते हैं । इसी तरह चोरी के तार और अन्य धातुओं को भी टुकड़ों में बांट दिया जाता है। चोरी का सामान पिघलाकर भी बेचा जाता है। पुलिस इससे वाकिफ है, इसलिए कुछ साल पहले भी बिलासपुर से संचालित सभी कबाड़ दुकानों को बंद करने का आदेश दिया गया था, जिसके बाद अधिकांश कबाड़ीओं ने अपने धंधे समेट लिए और वे शहर के बाहर अपना नया ठिकाना बना कर काम कर रहे हैं, लेकिन अब भी तेलीपारा, पुराना बस स्टैंड, तालापारा , जरहाभाटा सरकंडा जैसे कुछ क्षेत्र में बड़े कबाड़ी अपना कारोबार संचालित कर रहे हैं। जिसे देखते हुए एसपी प्रशांत अग्रवाल ने सभी कबाड़ी दुकानों में छापामार कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। इसकी शुरुआत बुधवार 14 जनवरी से होगी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और सीएसपी सिविल लाइन के नेतृत्व में शहर के सभी थानों से टीम बनाकर बिलासपुर शहर में मौजूद कबाड़ी दुकानों में छापामार कार्रवाई की जाएगी । इसके लिए सिविल लाइन थाना, कोतवाली थाना, तारबाहर थाना और चकरभाटा थाना के साथ अन्य थानों में भी कबाड़ी दुकान चिन्हांकित कर लिए गए हैं, जिन पर अब कार्यवाही की जाएगी। वही हिर्री थाना द्वारा 3 क्विंटल अवैध कबाड़ जप्त किया गया है जिसकी कीमत ₹6000 बताई जा रही है। इस मामले में आरोपी कमल उर्फ जोंटी मनहर के खिलाफ कार्यवाही कर उसे गिरफ्तार किया गया है। इसी के साथ अभियान की शुरुआत हो चुकी है और आने वाले कुछ दिन बिलासपुर शहर के कबाड़ीओ के लिए भारी साबित होंगे। लेकिन मामले का स्याह पहलू यह भी है कि अधिकांश कबाड़ीओं के साथ पुलिस की मिलीभगत है, जिसके कारण कार्रवाई से पहले ही उन्हें सूचना मिल जाती है और इसके बदले में उन्हें नियमित कमीशन मिलता रहता है। बड़े अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाही इसी वजह से बेअसर साबित होती है। इस पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, तभी प्रभावी कार्यवाही संभव होगी।