आकाश दत्त मिश्रा

प्रदेश में सत्ता की लहर की दिशा भले ही बदल गई लेकिन मुंगेली में हालात जस के तस रहे। विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा । लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को यहां से बढ़त मिली। जनपद और नगरपालिका में भी भाजपा ने कब्जा कर लिया। किसी तरह ले देकर जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बनने में कांग्रेस ने सफलता भले ही हासिल की लेकिन विधानसभा लोकसभा और नगर पालिका चुनाव में मिली असफलता का ठीकरा अंततः मौजूद जिला अध्यक्ष पर ही टूटा है, इसलिए यह लगभग तय है कि अब संगठन में फेरबदल होगा । वैसे तो प्रदेश पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम की नियुक्ति के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थी कि मुंगेली में कार्यकारी गठन और जिला अध्यक्ष की नए सिरे से नियुक्ति होगी , क्योंकि वर्तमान  अध्यक्ष आत्मा सिंह क्षत्री का कार्यकाल खास उल्लेखनीय नहीं रहा , बल्कि उनके कार्यकाल में कई ऐसी घटनाएं घटी जिसे शायद वे भी याद नहीं करना चाहेंगे ।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की पहली मुंगेली यात्रा किसी बुरे सपने की तरह साबित हुई , जहां कार्यकर्ताओं के अनुशासनहीनता के चलते मंच ही  धंस गया और अध्यक्ष चोटिल हो गए । यहां तक कि मुंगेली में उन्हें इलाज तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका। इसके बाद जब खाद्य मंत्री अमरजीत भगत मुंगेली पहुंचे थे तो व्यवस्था इतनी बदतर थी कि सर्किट हाउस में उन्हें भोजन तक नसीब नहीं हुआ। वे भी  मुंगेली से रूठ कर गए थे। ऐसे में जाहिर है की वर्तमान अध्यक्ष का बोरिया बिस्तर सिमटना तय है। वर्तमान जिला अध्यक्ष अपनी सभी अग्नि परीक्षाओ में नाकाम साबित हुए हैं ,इसलिए पार्टी अब किसी और युवा और ऐसे लोकप्रिय, काबिल अध्यक्ष की तलाश में है जो कांग्रेस को मुंगेली क्षेत्र में मजबूत कर सके। 

बहुत मुमकिन है कि नए जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के मसले पर सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम की चर्चा होगी। शायद यही कारण है कि मुंगेली में संभावित दावेदार अपनी लॉबिंग करने में जुट चुके हैं। स्पष्ट है कि इसमें उसी का चयन होगा जिसके नाम पर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की सहमति बनेगी। ऐसे में जिलाध्यक्ष के दावेदारों में से एक पूर्व पार्षद संजय जयसवाल की दावेदारी सबसे मजबूत नजर आ रही है । दो बार पार्षद रहे संजय जयसवाल ने इस बार संगठन में कार्य करने की मंशा जाहिर करते हुए चुनाव भी नहीं लड़ा था। इतना ही नहीं पंचायत चुनाव में मिली कामयाबी के पीछे भी संजय जयसवाल की निर्णायक भूमिका थी। संजय जयसवाल एक तरफ जहां मोहन मरकाम के गुड बुक में शामिल हैं तो वही वे अटल श्रीवास्तव के भी भरोसेमंद साथी है। पिछले लंबे अरसे से मुंगेली क्षेत्र में उनका लगातार सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रहना भी उनके पक्ष में जाएगा। राजनीतिक गतिविधियों के अलावा आगर कला मंच, जिला बनाओ संघर्ष समिति,  मेरी आवाज क्लब जैसे विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ जुड़कर भी संजय जायसवाल ने आम जनता के लिए काफी कुछ किया है। लिहाजा अगर पार्टी उन्हें जिलाध्यक्ष बनाती है तो मुंगेली में एक बार फिर से कॉन्ग्रेस की वापसी मुमकिन होगी। संजय जयसवाल चूंकि पिछड़ा वर्ग से आते हैं इसलिए पिछड़ा वर्ग का बड़ा वोट बैंक भी उनके साथ होगा। वैसे तो कांग्रेस जिला अध्यक्ष की दौड़ में कई नाम शामिल है लेकिन वे सभी नाम संजय जयसवाल के आगे फीके नजर आ रहे हैं। पार्टी के बड़े पदाधिकारियों का भी मानना है कि अगर मुंगेली में कांग्रेस को मजबूत करना है तो वर्तमान में संजय जयसवाल से बेहतर विकल्प नहीं है । स्पष्ट है कि सोमवार की बैठक के बाद इसी महीने के अंत तक नए जिला अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा, इसलिए सभी दावेदार इन दिनों अपने करीबी बड़े नेताओं का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इनमें संजय जयसवाल की दावेदारी फिलहाल सबसे मजबूत दिख रही है। भाजपा के शासनकाल में भी उन्होंने पार्टी के लिए निष्ठा पूर्वक कार्य किया ।राजनीतिक गतिविधियों के अलावा संगठन में भी उनका खासा  दखल और अनुभव रहा है। उन्होंने चुनाव भी जीते हैं ,इसलिए उनका व्यापक जनाधार भी है ।करीब 20 वर्षों से कॉन्ग्रेस में राजनीति और संगठन में खुद को साबित कर चुके संजय जयसवाल को अगर मुंगेली कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनाया जाता है तो बहुत मुमकिन है कि यहां पार्टी की न सिर्फ खोई साख लौटेगी बल्कि चुनाव दर चुनाव मिलती  पराजय को भी जीत में बदला जा सकेगा।

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