
आकाश दत्त मिश्रा

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अब नए जोश और नई सोच के साथ संगठन को मज़बूत करने में जुट गई है। सत्ता से दूर होने के बाद पार्टी अब अपने ढांचे को पुनर्गठित करने के मिशन पर है। कांग्रेस के “संगठन सृजन कार्यक्रम” के तहत प्रदेश भर में नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जा रही है। इस बार शीर्ष नेतृत्व ने साफ संकेत दिए हैं कि अबकी बार अध्यक्षों का चयन ऊपर से थोपे गए नामों के बजाय रायशुमारी और जमीनी कार्यकर्ताओं की राय से होगा।
प्रदेश कांग्रेस ने अपने पर्यवेक्षकों की टीम जिलों में भेज दी है, जो लगातार कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन चर्चा कर रहे हैं। यह टीम ब्लॉक, बूथ और समाज स्तर के कार्यकर्ताओं से बातचीत के बाद तीन नामों का पैनल तैयार करेगी, जिसके आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस का मानना है कि जिनकी जितनी आबादी, उनकी उतनी हिस्सेदारी के सिद्धांत पर काम करते हुए हर वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया जाए।

संगठन सृजन के इस अभियान को लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है। खास बात यह है कि नव नियुक्त जिला अध्यक्षों का कार्यकाल तीन साल का होगा और यही टीम आगामी विधानसभा चुनाव तक संगठन की कमान संभालेगी। ऐसे में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कांग्रेस के भविष्य की दिशा तय करने वाली साबित होगी।
युवाओं पर फोकस, अनुभव को भी मिलेगा सम्मान

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अहमदाबाद अधिवेशन में वर्ष 2025 को “संगठन सृजन वर्ष” घोषित किया था। उसी के तहत छत्तीसगढ़ कांग्रेस अब 50 साल से कम उम्र के युवाओं को संगठन में प्राथमिकता दे रही है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि 50% पद युवाओं के लिए आरक्षित रहेंगे, वहीं अनुभव और संगठनात्मक निष्ठा को भी महत्व दिया जाएगा।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने इसके लिए 17 वरिष्ठ नेताओं को प्रदेश में पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। सूत्रों के मुताबिक, जिन जिलों में ओबीसी, आदिवासी या अन्य समुदायों की बहुलता है, वहां उसी के अनुसार सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखकर नियुक्ति की जाएगी।

मुंगेली में संजय जायसवाल की दावेदारी मजबूत
मुंगेली जिले में कांग्रेस संगठन को नई ऊर्जा देने के लिए योग्य और प्रभावशाली जिला अध्यक्ष की तलाश शुरू हो चुकी है। दावेदारों की लंबी सूची में युवा नेता संजय जायसवाल का नाम सबसे आगे चल रहा है।
संजय जायसवाल का राजनीतिक सफर छात्र जीवन से ही कांग्रेस के साथ शुरू हुआ। एनएसयूआई छात्रसंघ चुनावों में प्रभारी के रूप में उन्होंने संगठनात्मक दक्षता दिखाई। वर्ष 2004 से 2006 तक वे युवा कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष रहे और 2006–2007 में शहर युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहते हुए युवाओं को जोड़ने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
इसके अलावा 2014 और 2019 में लगातार दो कार्यकाल तक पार्षद के रूप में जनसेवा करते हुए उन्होंने अपनी पहचान एक ईमानदार, सक्रिय और जमीनी नेता के रूप में बनाई। राजनीति से इतर भी संजय जायसवाल समाजसेवा में निरंतर सक्रिय रहे हैं। मुंगेली को पृथक जिला बनाने के आंदोलन से लेकर सांस्कृतिक और सामाजिक अभियानों तक, उन्होंने हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई।
“युवा जोश और अनुभव का संगम” – कार्यकर्ताओं की राय
जिले के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि संजय जायसवाल में संगठन को दिशा देने का अनुभव भी है और युवाओं को जोड़ने की ऊर्जा भी। उनका कहना है कि “जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद रखने वाले, मीडिया और जनता के बीच प्रभावशाली छवि वाले” नेता के रूप में जायसवाल कांग्रेस के लिए सबसे उपयुक्त चेहरा हैं।
कई कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि संजय जायसवाल जैसे ऊर्जावान और प्रतिभाशाली कार्यकर्ता के नेतृत्व में कांग्रेस मुंगेली में फिर से मजबूती पा सकती है। उनके नेतृत्व में संगठन और जनसंपर्क, दोनों में नई जान आएगी।
निर्विवाद छवि और व्यापक स्वीकार्यता
राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहने के बावजूद संजय जायसवाल की छवि निर्विवाद, सौम्य और सर्वस्वीकार्य रही है। यही कारण है कि रायशुमारी के बाद उनके नाम पर सर्वसम्मति बनने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस मुंगेली में मजबूत संगठन चाहती है, तो संजय जायसवाल जैसे अनुभवी और ऊर्जावान नेता को जिला अध्यक्ष बनाना सबसे उपयुक्त फैसला होगा।
संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत कांग्रेस एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रही है। पार्टी का उद्देश्य केवल पद वितरण नहीं, बल्कि एक संतुलित, सक्रिय और जनसमर्थित संगठन खड़ा करना है। मुंगेली जैसे रणनीतिक जिले में यह चुनौती भी है और अवसर भी।
सवाल अब यह है कि रायशुमारी और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद किसके नाम पर मोहर लगती है—लेकिन मौजूदा संकेत बताते हैं कि संजय जायसवाल इस रेस में सबसे आगे हैं।
