भस्म का महत्व और शिवजी की पूजा- पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉक्टर दिनेश जी महाराज

सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव श्रावण मास मे महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ नमक चमक विधि द्वारा निरंतर किया जा रहा हैं।11 जुलाई 2025 से आरंभ सावन के अवसर पर त्रिदेव मंदिर में महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा हैं। यह आयोजन 9 अगस्त सावन शुक्ल पूर्णिमा तक निरंतर चलेगा। इस अवसर पर नित्य प्रतिदिन प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से पाठ विद्वान ब्राह्मणों द्वारा किया जा रहा है।

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में भगवान शिव को अविनाशी बताया गया है, जिनका न आदि है और न ही अंत है। देवों के देव महादेव सच्चे मन से की गई थोड़ी सी पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भोलेनाथ का रहन-सहन, आवास और गण अन्य देवताओं से भिन्न है।

भस्म का शाब्दिक अर्थ और महत्व

भस्म दो शब्दों ‘भ’ और ‘स्म’ से बना है, जिसका अर्थ है पापों का नाश होकर ईश्वर का स्मरण करना। भस्म धारण करने से जीवन की नश्वरता की याद दिलाती रहती है। शिव पुराण के अनुसार, भस्म धारण करने मात्र से ही सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है।

भस्म के लाभ

  • भस्म को शिवजी का ही स्वरूप माना गया है।
  • जो मनुष्य पवित्रता पूर्वक भस्म धारण करता है और शिवजी का गुणगान करता है, उसे शिवलोक में आनंद मिलता है।
  • भस्म शारीरिक और आत्मिक बल को बढ़ाकर मृत्यु के समय भी अत्यंत आनंद प्रदान करती है।

शिवजी को भस्म अर्पित करने के फायदे

  • शिवजी को भस्म चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी कष्ट दूर कर देते हैं।
  • भस्म चढ़ाने से भक्त का मन सांसारिक मोह माया से मुक्त होता है।

भस्म का महत्व शिव पुराण में विस्तार से बताया गया है। भस्म धारण करने और शिवजी को अर्पित करने से भक्त को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। भस्म की महिमा को समझकर और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करके, हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं।

भस्म धारण करने का तरीका

भस्म धारण करने के लिए सबसे पहले भस्म को पवित्र और शुद्ध तरीके से प्राप्त करना चाहिए। इसके बाद, भस्म को शरीर के विभिन्न भागों पर लगाना चाहिए, जैसे कि माथे, छाती और हाथों पर। भस्म धारण करते समय शिवजी के मंत्रों का जाप करना चाहिए और उनकी महिमा का गुणगान करना चाहिए।

भस्म का महत्व और शिवजी की पूजा का प्रभाव

भस्म का महत्व और शिवजी की पूजा का प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत गहरा होता है। यह हमें जीवन की नश्वरता की याद दिलाता है और हमें अपने पापों का नाश करने में मदद करता है। भस्म धारण करने और शिवजी की पूजा करने से हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं।

भस्म और शिवजी की पूजा के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • भस्म को पवित्र और शुद्ध तरीके से प्राप्त करना चाहिए।
  • भस्म धारण करते समय शिवजी के मंत्रों का जाप करना चाहिए और उनकी महिमा का गुणगान करना चाहिए।
  • भस्म धारण करने से पहले अपने आप को पवित्र और शुद्ध करना चाहिए।

भस्म का महत्व और शिवजी की पूजा का प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत गहरा होता है। यह हमें जीवन की नश्वरता की याद दिलाता है और हमें अपने पापों का नाश करने में मदद करता है। भस्म धारण करने और शिवजी की पूजा करने से हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं।

इसी कड़ी में महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ में श्री कुणाल रामरखियानी द्वारा महादेव का महारुद्राभिषेक,पूजन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया गया।

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