


छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के एनएसएस कैंप में हिंदू छात्र-छात्राओं से जबरन नमाज पढ़ाने के मामले में अब तक हुई लीपापोती वाली कार्यवाही से नाराज हिंदू संगठनों ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय का घेराव कर दिया। इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कुलपति को हटाने और एनएसएस के कोऑर्डिनेटर को बर्खास्त करने की मांग की।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी के शिव तराई में आयोजित कैंप में रोजाना योग क्लास लिया जाता था। इसी दौरान 31 मार्च को ईद का पर्व आया ।इस कैंप में चार छात्र मुस्लिम थे लेकिन उन्हें खुश करने की गरज से शेष 155 छात्र- छात्राओं से भी जबरन नमाज पढ़वाया गया। उनके मना करने पर उन्हें फेल करने की धमकी दी गई । मजबूरी में छात्रों को नमाज पढ़ना पड़ा। और यह सब कुछ कथित हिंदू शिक्षकों द्वारा किया गया। इस पूरे मामले के मास्टरमाइंड प्रोग्राम ऑफिसर डॉक्टर बसंत कुमार और कोऑर्डिनेटर दिलीप झा थे। बाद में कुछ छात्रों में कोनी थाने में इसकी शिकायत की तो पूरा नमाज कांड उजागर हुआ, जिससे सामाजिक और धार्मिक संगठनों में आक्रोश देखा गया।
इस घटना के बाद कुलपति प्रोफेसर आलोक चक्रवाल ने जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाकर 48 घंटे में रिपोर्ट सार्वजनिक करने का दावा किया था लेकिन अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

इधर शुक्रवार को मुख्य गेट पर हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि 155 हिंदू छात्र-छात्राओं को जबरन नमाज पढ़ाना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि इससे पहले भी विश्वविद्यालय के वामपंथी प्रोफेसरो द्वारा कक्षा में बाइबल पढ़ाया गया और इस्लाम का प्रचार प्रसार किया गया। इस दौरान वंदे मातरम मित्र मंडल के साथ अन्य हिंदू संगठनों से जुड़े लोग नजर आए, जिन्होंने कहा कि इस मामले के दोषी कोऑर्डिनेटर दिलीप झा को बिना जांच के ही सस्पेंड कर दिया गया ताकि वह हाई कोर्ट जाकर आसानी से बहाल हो सके। पूरे मामले में लीपा पोती करने, दोषियों को बचाने और पीड़ित छात्रों पर ही दबाव बनाने का आरोप लगाया गया। वक्ताओं ने कहा कि बिलासपुर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी को जेएनयू नहीं बनने दिया जाएगा जो तेजी से जेएनयू बनता जा रहा है । देश और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद भी इस तरह की गतिविधियों पर हिंदू संगठनों ने नाराजगी जताई, साथ ही कहा कि प्रोफेसर चक्रवाल की गतिविधियां हमेशा से ही संदिग्ध रही है। इस बार भी उनके द्वारा दोषी कर्मचारियों को बचाया जा रहा है।
बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर एनएसएस कैंप के नाम पर हिंदू छात्र-छात्राओं को जबरन नमाज पढ़ाने की ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी, वह भी तथाकथित हिंदू कोऑर्डिनेटर और प्रोग्राम डायरेक्टर द्वारा। इसे लेकर हिंदू संगठनों में आक्रोश तो है लेकिन ना तो इसे लेकर सख्त कानूनी कार्रवाई हो रही है और ना ही विश्वविद्यालय प्रबंधन ही मामले को गंभीरता से ले रहा है, जिससे लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मामले में जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं होने पर आक्रोश रैली निकालने की भी बात कही गई।
