सुभाष चौक सरकंडा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के दूसरे दिन प्रातःकालीन सर्वप्रथम देवाधिदेव महादेव का महारुद्राभिषेक पश्चात श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार ब्रह्मचारिणी देवी के रूप में किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक एवं परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया जा रहा है।
पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि ब्रह्मचारिणी स्वाधिष्ठान चक्र का प्रतीक है इसका आध्यात्मिक प्रभाव व्यक्ति को नियंत्रित विचार और मन के शुद्धिकरण के लिए निरंतर प्रेरित करता है।ब्रह्मचारिणी देवी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य,सदाचार,संयम की वृद्धि होती है जीवन के कठिन समय मे भी उसकी मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है साथ ही देवी अपने साधकों की मालीनता दुर्गुणों व दोषो को नष्ट करती है।
ब्रह्मचारिणी दो शब्दों से मिलकर बना है –
ब्रह्म – इसका अर्थ है “सर्वोच्च सत्य” या “आध्यात्मिक ज्ञान”।
चारिणी – इसका अर्थ है “जो चलती है” या “जो आगे बढ़ती है”।
इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी का अर्थ है “सर्वोच्च सत्य की ओर बढ़ने वाली” या “आध्यात्मिक ज्ञान की ओर अग्रसर करने वाली”। यह नाम देवी की उस शक्ति को दर्शाता है जो भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाती है।
ब्रह्मचारिणी देवी को दुर्गा देवी का दूसरा रूप माना जाता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और सशक्तता प्रदान करती है। वह अपने भक्तों को ब्रह्म की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति में मदद करती है।