नगर निगम चुनाव को लेकर परिसीमन के बाद अब सभी दावेदारों को आरक्षण की प्रतीक्षा है। इधर यह जानकारी मिल रही है कि इस बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ हो सकते है, अगर ऐसा है तो फिर हुआ तो फिर निकाय चुनाव के डेट आगे बढ़ जाएंगे।
इस बार महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से होगा। अब तक के आरक्षणों के पैटर्न को ध्यान में रखकर कयास लगाया जा रहा है कि इस बार महापौर का पद सामान्य महिला वर्ग से होगा। इसीलिए इस वर्ग से दावेदारों की एक लंबी लिस्ट सामने आ रही है। वार्डों के परिसीमन के बाद अब आरक्षण की स्थिति में भी व्यापक बदलाव होंगे। यही कारण है कि नगर निगम चुनाव में दावेदारी करने की इच्छुक पार्षद प्रत्याशी बेसब्री से आरक्षण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पिछले नगर निगम चुनाव के समय कांग्रेस की सरकार होने से पूरे प्रदेश में कांग्रेस का ही बोलबाला था, लेकिन इस बार संभावना जताई जा रही है कि भाजपा शहर सरकार बनाने में वापसी करेगी। तो वहीं भाजपा में भी महापौर के लिए सीनियर पार्षदो को मौका मिल सकता है। भाजपा में सीनियर पार्षद में सबसे बड़ा नाम अशोक विधानी का है , जो लगातार पांच बार पार्षद बने है। विजय ताम्रकार और दुर्गा सोनी भी सीनियर पार्षद है। कांग्रेस में राजेश शुक्ला, शेख नजीरुद्दीन की गिनती इसी सूची में होती है। विजय केशरवानी का नाम भी इस सूची में हो सकता है।
सामान्य महिला को मिल सकता है मौका
बिलासपुर नगर निगम के 44 साल के इतिहास में केवल एक बार ही महिला महापौर चुनी गई है। उस वक्त कांग्रेस की वाणी राव ने भाजपा की मंदाकिनी पिंगले को हराया था, जो अब भाजपा में है। इस बार अगर सामान्य महिला के लिए आरक्षण हुआ तो फिर नए दावेदार सामने होंगे। भाजपा में भी आधा दर्जन से अधिक नाम लिए जा सकते हैं। अगर अशोक विधानी महापौर का चुनाव नहीं लड़ पाए , तो जाहिर है वे अपनी पत्नी पूजा विधानी का नाम आगे बढ़ाएंगे। इसके अलावा स्मृति जैन, किरण सिंह, जय श्री चौकसे जैसे कुछ नाम भी चर्चाओं में है, जिनकी सक्रियता अचानक से बढ़ गई है। अभी से प्रत्याशी अपनी लॉबिंग करने लगे हैं।
इससे पहले होने वाले नगर निगम चुनाव में सारा दारोमदार अमर अग्रवाल के हाथ होता था लेकिन इस बार सत्ता के एक से अधिक केंद्र बन चुके है। बिलासपुर नगर निगम में विधायक अमर अग्रवाल के अलावा डिप्टी सीएम अरुण साव और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू के भी दरबार में भावी प्रत्याशी हाजिरी देने लगे हैं। भाजपा में भी अलग-अलग खेमे बाजी की स्थिति है और संभावनाएं तलाशते नेता इन तीनों दरबारों में हाजिरी भर रहे हैं।
इधर कांग्रेस में चरणदास महंत और भूपेश बघेल निर्णायक भूमिका में हो सकते है। जैसा कि ऊपर बताया गया है भाजपा में इन महिलाओं में से किसी को महापौर चुनाव के लिए टिकट मिल सकता है लेकिन भाजपा एक ऐसी पार्टी है जिसके बारे में कयास लगाना असंभव है। अंतिम समय में पार्टी किसका चुनाव करेगी यह कहना मुश्किल है। पहले तो इस बात की प्रतीक्षा करनी होगी कि आरक्षण में महापौर सीट किसके लिए आरक्षित होता है। जाहिर है इस आधार पर प्रत्याशियों की दावेदारी सामने आएगी और परिसीमन के बाद इसमें बदलाव तय है।