शिक्षक पात्रता परीक्षा के दौरान एक स्कूल द्वारा हिन्दू प्रतीकों के साथ भेदभाव का आरोप, हिन्दू संगठनों ने इसकी शिकायत दर्ज कर स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की

एक धर्म विशेष द्वारा संचालित स्कूल प्रबंधन पर हिंदू प्रतीको के साथ परीक्षा देने आए परीक्षार्थियों के साथ भेदभाव का लगा आरोप, हिंदूवादी संगठनों के विरोध के बाद झुका स्कूल प्रबंधन, मामले की शिकायत कर स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग हुई तेज

रविवार को CTET परीक्षा आयोजित की गई। शिक्षक पात्रता परीक्षा में मंगला स्थित सेंट विंसेंट पल्लोटी सीनियर हायर सेकेंडरी स्कूल को भी केंद्र बनाया गया। पता चला कि यहां परीक्षा देने आए हिंदू धर्मावलंबियों के परीक्षार्थियों के जबरन अंगूठी, कलेवा, ताबीज यहां तक कि महिलाओं के कान की बाली, नाक की नथनी, उनके मंगलसूत्र तक को उतारा गया। जिन परीक्षार्थियों ने इसका विरोध किया, उन्हें चेतावनी दी गई कि स्कूल प्रबंधन की बात ना मानने पर उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। इसकी जानकारी अधिवक्ता समीर शुक्ला और हिंदूवादी संगठन से जुड़े लोगों को हुई, जो दूसरी पाली की परीक्षा के दौरान 2:00 बजे स्कूल पहुंचे तो देखा कि परीक्षा नियंत्रक द्वारा जबरन हिंदू पुरुष और विवाहित महिलाओं के सुहाग चिन्ह और अन्य हिंदू प्रतीक चिन्ह उतारे जा रहे हैं । उन्होंने यह भी पाया कि परीक्षार्थियों से भेदभाव किया जा रहा है। केवल हिंदू परीक्षार्थियों को ही निशाने पर लिया जा रहा है, जबकि अन्य धर्म के परीक्षार्थियों को उनके धर्म के प्रतीको के साथ परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिया जा रहा है। यह भी पाया गया कि एक लड़के का जबरन अंगूठी निकालने के दौरान उसकी उंगली कट गई और एक महिला की नाक की नथुनी निकालने के दौरान उनका नाक कट गया।

समीर शुक्ला और अन्य हिंदूवादियों ने इसे एक धर्म विशेष द्वारा संचालित स्कूल की नियम विरुद्ध गुंडागर्दी बताते हुए उसका विरोध किया। पहले तो स्कूल प्रबंधन नहीं माना लेकिन बढ़ते दबाव के बाद आखिरकार उसने मंगलसूत्र आदि के साथ ही परीक्षार्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी।
मीडिया से चर्चा करते हुए समीर शुक्ला ने कहा कि एक मिशनरी द्वारा संचालित स्कूल पर पहले भी हिंदू धर्म को टारगेट करने की शिकायत मिलती रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन स्कूल प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है। किशन सिंह ठाकुर, अधिवक्ता समीर शुक्ला आदि ने बताया कि आगामी प्रशासनिक कार्य दिवस पर इसकी लिखित शिकायत जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी के साथ स्कूल शिक्षा मंत्री से भी की जाएगी और इस सांप्रदायिक स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की जाएगी।

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