पखांजुर से बिप्लब कुण्डू//21.2.22
पखांजुर–
मातृभाषा बांगला एवं शिक्षा संग्राम समिति (छःग)ने प्राथमिक पाठशालाओं में मातृभाषा बांगला भाषा की शिक्षा एवं शिक्षकों के मांग पर अनुविभागीयरा. पखांजुर कार्यालय राज्यपाल,मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री आदि के नाम ज्ञापन सौपा।
मातृभाषा बांगला एवं शिक्षा संग्राम समिति (छःग)ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस में भाषा आन्दोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए ,सांस्कृतिक कार्यक्रम में रबि गोसाईं, आनिमेष विश्वास, ब्रजलाल साना आदि ने कविता पाठ की प्रस्तुति दी,कल्पना चंद,ज्योत्सना अधिकारी आदि ने देश भक्ति प्रेरणा दायक गीत की प्रस्तुति दी उपस्थित वुद्धिजीवीओं ने अभिभाषण दिया। तत्पश्चात रैली करते हुए अनुविभागीयरा. पखांजुर कार्यालय राज्यपाल मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री आदि के नाम प्राथमिक पाठशालाओं में मातृभाषा बांगला भाषा शिक्षा एवं शिक्षकों मांग पर ज्ञापन सौपा।समिति अध्यक्ष अजित मिस्त्री ने कहां है कि भारतीय गणराज्य का संवैधानिक विशेषता एवं महानता दुनिया में विशेष स्थान हासिल की है।दुनिया में विविधता में एकता की बेमिसाल और महान भारत देश है। अनुच्छेद 45 में संविधान लागू होने के 10 वर्ष के भीतर 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने का निर्देश शासन को दिया था। निबास अधिकारी ने कहां कि…अनुच्छेद 350 अ प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध को कहता है। जिस तारतम्यता में आजादी के पश्चात सन 1989 तक हम बंगालीओं को अखण्ड मध्यप्रदेश की राज्य में मातृभाषा बांगला में शिक्षा एवं मातृभाषा में शिक्षा की बुनियादी व्यवस्थाएं मौजूद रहे। मध्यप्रदेश राज्य से खण्डित कर राज्य छत्तीसगढ़ निर्माण के पश्चात हम बांगला भाषा भाषीओं की मातृभाषा में शिक्षा में वाधा उत्पन्न हो रहे है।अनिमेष विश्वास ने कहां कि राज्य की सरकारें बदलते रहे।हर चुनाव में मातृभाषा बांग्ला में पर्याप्त शिक्षक,बांगला पुस्तक मुद्रन आदि जुमलों की बाढ़ आ जाती है ।अलोक विश्वास ने कहां कि मातृभाषा बांगला भाषा में शिहा प्राप्ति की हकीकत यह है की सन 1989के बाद से अनेक बार शिक्षकों की भर्तियां हुंई है।परंतु मातृभाषा बांगला भाषा में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुंई है।ज्योत्सना अधिकारी ने कहां कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बांगालीओं को प्राथमिक स्तर की शिक्षा में मातृभाषा बांगला में शिक्षा देने की अनुच्छेद 350 अ प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त करने की सुविधाएं रहने के बावजूद संवैधानिक अधिकार मातृभाषा बांगला भाषा में प्राथमिक पाठशालाओं से बंगाली वंचित हो रहे है।ब्रजलाल साना ने कहां कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्राथमिक शाला में बांगला भाषा भाषीओं को मातृभाषा बांगला में शिक्षा प्राप्त करने की शिक्षक, पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक, बंगाल साहित्यकारों की साहित्य आदि बुनियादी समस्त प्रकार की व्यवस्था सरकार द्वारा किये जाए। रविन्द्रनाथ मिस्त्री ने मांगा कि है कि 2022-2023 की शैक्षणिक वर्ष में, प्राथमिक पाठशाला में मातृभाषा बांगला में शिक्षा प्रदाय हेतु पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं में बांग्लाभाषा कि किताबें छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की प्रकाशन में प्रकाशित कर उक्त पुस्तक से तार्किक ज्ञानवर्धक मजबूत नींव निर्माण की मातृभाषा बांगला भाषा का बुनियादी शिक्षा दी जाए । मातृभाषा एवं बांग्लाभाषा में पढ़ाने के लिए 1989 के पश्चात बांगला भाषा की खाली परें तमाम बांगला भाषा की शिक्षकों नियुक्त तत्काल किया जाए।
महाराष्ट्र की विश्वविद्यालय के तर्ज पर छत्तीसगढ़ की विश्वविद्यालय में भी बांग्लाभाषा में स्त्नातक स्तर की शिक्षा प्रदाय करने की व्यावस्था किया जाए एवं बंग्ला भाषा बोर्ड गठन ओर बंगला भाषाविदों को नियुक्त किया जाये व परामर्श लिया जाए।शिक्षा प्रणाली में पास फेल की व्यवस्था पुनः लागू किया जाए आदि।बांग्ला के साथ समस्त मातृभाष पढ़ने-लिखने,सिखाने की व्यवस्था (स्कुलों एवं समुदायों में लाइब्रेरी निर्मित कर पर्याप्त भाषा की साहित्य की पुस्तक आदि व्यवस्था किया जायें।प्राथमिक श्रेणी से पास फेल प्रणाली चालु किया जाय एवं ग्रेडिंग प्रणाली बंद कर पुरानी श्रेणी विभाजन पद्धति चालू किया जायें।
शिक्षकों को शिक्षा कार्य के अलावा अन्य कार्य में व्यस्त न किया जाये। परिवार,जनगणना आदि सर्वे एवं अन्य विभागीय कार्य में बेरोजगार युवाओं को सीधि भर्ती में नियुक्ति देकर उनसे सर्वे आदि कार्य करवा कर बेरोजगारों को रोजगार दिये जायें।
स्कुल एवं शिक्षण संस्थाओं में छात्रों के लिए स्वच्छ पानी,शौचालय,भवन बैठने आदिकी बुनियादि व्यवस्थ किया जायें आदि मांगे पुरी करने की समिति ने शासन-प्रशासन से अपील किया है।वासंती,अंजु,अरुणा, तृप्ती, शिखा,सुजता,पाण्डु राम आंचला,शालु राम शरद,दयाल करेकट्टा,कसरु श्री हरी नाथ,बिशु,निताई,चांद मोहन,कालु शाकारी,देवजीत,सुजन,गोपाल,समीर आदि उपस्थित रहे।