कैलाश यादव
एक ओर अच्छी वर्षा एवम् भरपूर फसल की उपज हो ऐसी कामना के साथ भोजली का पर्व गांव,नगर में मनाया जाता है वही, भोजली मित्रता का भी त्यौहार है। लड़किया, महिलाएं नदी, तालाब में भोजली विसर्जन के बाद घाट पर एक दूसरे के कान में भोजली (बाली) खोंचकर(लगाकर) गींया, भोजली बदती (मित्रता करती) हैं जिसे जीवन पर्यंत निभाया जाता है। उसी तरह बड़ों को भोजली भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त करती है। वही छोटों के प्रति अपना स्नेह प्रकट करती है।
रक्षा बंधन के दूसरे दिन आयोजित भोजली तिहार प्राचीनतम पर्व में से है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवम् परंपराओं के मूल में आध्यात्म और विज्ञान निहित है। यहां लोकाचार भी आध्यात्म से पोषित होता है और विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही परंपराओं की निसेनी तक पहुंचता है।
छत्तीसगढ़ धन का कटोरा के रूप में विख्यात है। छत्तीसगढ़ में धान की शताधिक किस्मे बोई जाती है, धान यहां की आत्मा है। छत्तीसगढ़ में सावन माह की सप्तमी को छोटी-छोटी टोकरियों में मिट्टी डालकर उसमें अन्न के दाने बोए जाते हैं, जिसमें प्रमुख रूप से धान, गेहूं या जौ होता है ।
पूर्णिमा तक 4 से 6 इंच तक पौधे निकल आते हैं, जिन्हें पारंपरिक परिधान में सजी धजी युवतियां समूह में सर पर लिए भोजली गीत गाते हुए घाटों में पहुंचती है और यहां भोजली का विसर्जन किया जाता है। इसी के साथ भोजली के माध्यम से मितान भी बनाये जाते हैं ,इसीलिए इसे देशी फ्रेंडशिप डे भी कहते हैं । रक्षाबंधन के ठीक अगले दिन मनाए जाने वाले इस पर्व पर हर बार की तरह इस बार में बिलासपुर में कई स्थानों से भोजली यात्रा निकली , जो अलग-अलग घाटों में पहुंची और वहां भोजली का विसर्जन किया गया । सरकंडा क्षेत्र में भी नूतन चौक से निकली यात्रा शिव घाट पहुंची जहां पारंपरिक गीतों के साथ भोजली का विसर्जन किया गया । इस अवसर पर बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस लोक पर्व में हिस्सा लेते हुए सभी को बधाई दिया एवं अच्छे फसल एवं अच्छी वर्षा की कामना की।
नई पीढ़ी को अपनी लोक परंपराओं से जोड़ने के उद्देश्य के साथ पहली बार शनिचरी रपटा चौक के पास राज्य स्तरीय भोजली महोत्सव का आयोजन किया गया , जहां विजेता के लिए ₹21,000 का आकर्षक प्रथम पुरस्कार भी रखा गया। अरपा नदी के तट पर पारंपरिक वेशभूषा में समूह भोजली के साथ पहुंची। प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ी वेशभूषा, भोजली के आकार प्रकार ,भोजली गीत, छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्र और टीम में शामिल सदस्यों की संख्या के आधार पर अंक प्रदान करते हुए विजेताओं का चयन किया गया। यहां भी विधायक शैलेश पांडे शामिल हुए।