बिलासपुर, 27-02-22। ब्रह्माकुमारीज का कार्य बहुत ही विशेष एवं उच्च कोटि का है। यहां पर आने पर हर किसी को शांति की अनुभूति होती है। ब्रह्माकुमारी का कार्य नि:स्वार्थ भाव से एवं जन कल्याण के लिए होता है। एक-एक शब्द सुनने से ही मन को शांति मिलती है। यहां पर सभी प्रकार के लोग जुड़े हुए है जो समाज में एकता को दर्शाता है।

उक्त वक्तव्य आजादी के अमृत महोत्सव एवं शिवरात्रि के पावन अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की लखराम शाखा में आयोजित कार्यक्रम में पधारे बेलतरा विधायक माननीय भ्राता रजनीश सिंह जी ने कही। बिलासपुर शाखा की राजयोग केन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा कि परमात्मा शिव की यह 86वीं शिवजयंती है। हम सभी धूमधाम से अपने पिता का जन्म उत्सव मना रहे हैं। आज कोई भी त्यौहार होता है उसके साथ दिन शब्द जोड़ता है लेकिन सिर्फ एक शिवरात्रि का त्योहार है जिसके साथ रात्रि शब्द जुड़ता है। झंडे को हमेशा ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है ताकि जन-जन तक संदेश पहुंच सके। हर एक परमात्मा का संदेश प्राप्त कर सके। झंडे को देखते ही सभी के दिल में बहुत ही उमंग उत्साह और खुशी की लहर दौड़ने लगती है। यह झंडा हर वर्ष लगाते हैं पुराने को उतारते हैं और नए को लगाते हैं। शिवरात्रि पर इसका नवीनीकरण होता है अर्थात हमें भी अपने जीवन में नवीनता लेकर के आनी है हमेशा झंडा बहुत ऊंचे स्थान पर लगाते हैं, क्योंकि सभी झंडे को देख सके और परमात्मा से अपना अधिकार प्राप्त कर सके। साथ में झंडा हल्का होता है और हल्का होने के कारण लहराता रहता है। यह संदेश देता है कि हमें मन से सदा हल्का रहना है किसी भी प्रकार की चिंता है। परेशानियां हो वह सब कुछ परमात्मा को अर्पण कर सदा उमंग उत्साह के साथ उड़ते और उड़ाते रहना है। ग्राम लखराम की सरपंच बबिता वर्मा जी ने कहा कि शिवरात्रि का त्यौहार बहुत ही विशेष त्यौहार है अपनी बुराइयों को शिवजी पर अर्पण करना है।

इससे पहले बिलासपुर राजयोग केन्द्र से रैली निकलकर शनिचरी, रामा ग्रीन सिटी, पोंसरा होते हुए लखराम पहुंची। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की लखराम शाखा के द्वारा आज एक शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा में शिव जी का पूरा परिवार शंकर-पार्वती, गणेश, नंदी आदि की भी चैतन्य झांकी निकाली गई। जिसमें जन-जन तक परमात्म परिचय के साथ सामाजिक जागरूकता का संदेश दिया गया। बताया गया कि हम शिवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं यह कोई साधारण त्यौहार नहीं है, बल्कि परमात्मा शिव सर्व आत्माओं के पारलौकिक परमपिता निराकार परमात्मा के इस सृष्टि पर दिव्य अवतरण का स्मृति दिवस है। यह सारे पर्वों में महान पर्व है। शिवरात्रि पर्व का वर्तमान समय एवं हम सभी के जीवन से गहरा संबंध है। शिवरात्रि कोई यह साधारण दिन-रात की बात नहीं है। लेकिन यह कलयुग रूपी रात्रि की बात है। जिसमें परमपिता परमात्मा इस धरा पर आकर हमारे अंदर की सर्व बुराइयों को नष्ट करते हैं। सभी देवी-देवताओं पर कमल पुष्प, गुलाब एवं अन्य सुगंधित पुष्प चढ़ाए जाते हैं। परंतु शिव जी के ऊपर में अक, धतूरा एवं गंधहीन पुष्प ही चढ़ाए जाते हैं। वास्तव में अक, धतूरा बुराइयों का प्रतीक है। परमात्मा मनुष्य से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि बुराई का दान मांगते हैं। जो इन विकारों को परमात्मा पर चढ़ा देते हैं वही देवी स्वराज्य के अधिकारी बनते हैं। तो परमात्मा पर यह अक, धतूरा आदि का फूल चढ़ाना अर्थात अपनी बुराइयों को चढ़ाना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है।

कार्यक्रम में लखराम की उपसरपंच रागिनी श्रीवास जी, वरिष्ठ समाज सेवक डॉ. चंद्रशेखर श्रीवास जी, डॉ. लक्ष्मी श्रीवास आदि उपस्थित थे। अंत में अतिथियों एवं बहनों के द्वारा शिव ध्वज फहरा कर अपनी कमी कमजोरी परमात्मा पर अर्पित कर उनसे कोई गुण धारण करने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी को प्रसाद वितरण किया गया।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!