श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में मनाया जा रहा आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव

छत्तीसगढ़ बिलासपुर सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है।पीताम्बरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि इस बार गुप्त नवरात्र दस दिनो का है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के दूसरे दिन प्रातःकालीन श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार ब्रह्मपुत्री एवं तारा देवी के रूप में किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक किया गया।परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया गया।प्रतिदिन रात्रिकालीन 8:00 बजे से 12:30 बजे तक पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ एवं रात्रि 12:30 बजे महाआरती संपन्न हुआ।

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा और उनकी दस महाविद्याओं की विशेष पूजा की जाती है।गुप्त नवरात्र को विशेष रूप से गुप्त साधानाओं के लिए जाना जाता है।गुप्त नवरात्र के दुसरे दिन दस महाविद्या की देवी तारा की पूजा-आराधना की जाती है। तारा देवी को श्मशान की देवी भी कहा जाता है, साथ ही उन्हें मुक्तिदात्री भी कहा जाता है। हिंदू ही नहीं बौद्ध धर्म में भी तारा देवी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार भगवान बुद्ध ने तारा मां की आराधना की थी, बुद्ध देव के अलावा गुरु वशिष्ठ ने भी पूर्णता प्राप्त करने के लिए देवी तारा का आराधना की थी।देवी तारा की उत्पत्ति मेरु पर्वत के पश्चिम भाग में, चोलना नदी के तट पर हुई। हयग्रीव नाम के दैत्य के वध हेतु देवी महा-काली ने ही, नील वर्ण धारण किया था।

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