यह कैसा धार्मिक पर्यटन कि कंठी देवल मंदिर परिसर में मांस पकाकर खाया , अपने पीछे छोड़ गए यहां- वहां हड्डियां और जूठे दोना पत्तल, वीडियो वायरल होने पर अब एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का प्रयास

रतनपुर की पहचान मां महामाया मंदिर परिसर में स्थित कंठी देवल मंदिर के परिसर में मांस भक्षण और वही जूठन छोड़कर जाने का मामला गरमाने लगा है। प्रसिद्ध महामाया मंदिर परिसर में कुंड के पास प्राचीन कंठी देवल मंदिर स्थित है। यह मंदिर केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, जहां गार्ड भी तैनात है। बताया जा रहा है कि बुधवार को यहां बाहर से कुछ दर्शनार्थी आए थे, जिन्होंने कंठी देवल मंदिर के पास स्थित मैदान में भोजन पकाया और फिर इनमें से अधिकांश लोगो ने कंठी देवल परिसर मैं ही बैठकर भोजन किया ।
आपत्ति इस बात पर है कि मंदिर परिसर में मांस भक्षण किया गया। इतना ही नहीं लापरवाह लोग मंदिर परिसर में ही जुठा भी छोड़ कर चले गए। मंदिर परिसर में जुठे पत्तल,उसमें मौजूद बिरयानी और हड्डी के टुकड़े देखकर आसपास के लोग भड़क गए


जिन्हें जानकारी होने पर रात में ही पहुंचकर उन लोगों ने पूरे मामले का वीडियो बनाया। हालांकि इस दौरान वहां तैनात गॉड उन्हें रोकने का पूरा प्रयास करता रहा। वीडियो बनाने वाले ने यह सवाल भी किया कि जिस तरह से गार्ड वीडियो बनाने से उन्हें रोकने में अपनी ऊर्जा खपा रहा है , अगर यही उर्जा उसने मंदिर परिसर में मांस भक्षण करने वालों को रोकने में लगाया होता तो फिर इस तरह से लोगों की भावना आहत नहीं होती ।
महामाया मंदिर में कभी बलि प्रथा जारी थी, जिसे कई बरस पहले बंद कर दिया गया। इसलिये अब यहां इस तरह की गतिविधियां पूरी तरह प्रतिबंधित है ।

बताते हैं कि बुधवार को 40 से 50 लोग समूह में आए थे, जिन्होंने मांस पका कर मंदिर परिसर में ही भोजन किया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ऐसा करने वालों ने सनातनी भावनाओं को आहत किया है , उनमे स्वयं इतनी जागरुकता होनी चाहिए थी कि मंदिर परिसर में इस तरह की हरकत शोभनीय नहीं है, तो वही गुस्सा इस बात को लेकर भी हो कि वहां तैनात गार्ड ने भी उन्हें रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। उल्टा गार्ड वीडियो में यह दावा करता दिख रहा है की मंदिर ट्रस्ट ने ही उन लोगों को ऐसा करने की अनुमति दी थी, जबकि महामाया मंदिर ट्रस्ट इस प्रकार की अनुमति केवल लिखित में ही देता है, मौखिक आदेश की कोई परंपरा नहीं है और ऐसा कोई आदेश दिए जाने की जानकारी भी नहीं है।

यह पूरी घटना असल में उन लोगों की भारी भूल है, जिन लोगों ने मंदिर परिसर को ही मांस भक्षण का क्षेत्र मान लिया। कुछ लोगों के लिए तीर्थाटन भी केवल पर्यटन है, जिनके लिए धार्मिक भावनाएं कोई मायने नहीं रखती। अक्सर बाहर से आने वाले ऐसे ही लोग ऐसा दुस्साहस कर बैठते हैं, क्योंकि इसे लेकर स्थानीय लोग अपना विरोध नहीं दर्ज कराते, लेकिन इस वीडियो के सामने आने पर रतनपुर में इस घटना को लेकर खासा आक्रोश है। जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की जा रही है।
परिसर में सीसीटीवी कैमरा ना होने से फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है की कंठी देवल मंदिर परिसर में मांस भक्षण करने और जूठन के रूप में हड्डियां छोड़कर जाने वाले वह लोग कौन थे। अगर मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रयास करें तो ऐसे लोगों को ढूंढ निकालना कठिन काम नहीं होगा , जिनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।

कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर ट्रस्ट द्वारा यहां इस तरह का आचरण नहीं करने का नोटिस बोर्ड लगा होना चाहिए था , अगर ऐसा होता तो फिर इस तरह की घटना नहीं होती। लेकिन यह भी हैरान करने वाली दलील है। अगर कोई नोटिस बोर्ड ना लगा हो तो फिर भी इतना संस्कार तो होना ही चाहिए कि मंदिर परिसर में किस तरह का आचरण- व्यवहार होना चाहिए।

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